रायपुर. छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल्य के साथ खनिज संपदा से भरपूर राज्य है. राज्य में लोहा, टिन, बॉक्साइट और कोयला प्रचूर भंडार है और यही वजह है कि यहां सरकारी के साथ निजी कंपनियों की ढेरों खदानें हैं. सभी खदानें आदिवासी इलाकों में है. खनन के चलते आदिवासी विस्थापित और प्रभावित होते हैं. खनन के बदले में उन्हें बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है. इस पीड़ा को राज्यपाल अनुसुईया उइके आदिवासी होने के नाते बखूबी समझती है. उन्होंने कहा कि खनन प्रभावित क्षेत्रों के आदिवासियों को कोई विशेष फायदा नहीं होता है. इसलिए उन्हें शेयर होल्डर बनाया जाए.

बीते दिनों में कई इलाकों के आदिवासियों ने इस समस्या को लेकर राज्यपाल से मुलाकात भी की थी. लिहाजा राज्यपाल कांकेर क्षेत्र से पहुंचे आदिवासियों के मुलाकात के दौरान कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बारे सुझाव दिया है कि खनन प्रभावित इलाके लोगों को खदानों में शेयर होल्डर के रूप में शामिल किया जाए. क्योंकि खनन के नाम पर जो जमीन अधिग्रहण किया जाता उसके बदले आदिवासी कुछ लाख रुपए ही मिलते हैं. इससे उन्हें कोई विशेष फायदा नहीं होता है. बेहतर है कि शेयर होल्डर बनाकर जीवन पर्यंत लाभ दिया जाए. उन्होंने कहा यह बातें उन्होंने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय परिपेक्ष्य में कही है. ऐसा अगर हो जाए तो आदिवासियों को इससे बहुत फायदा होगा.