रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने हाथियों के बढ़ते आतंक और जनहानि के मद्देनजर लेमरू एलिफेंट रिजर्व बनाने की मंजूरी दी थी. इस प्रोजेक्ट को लेकर अब कई तरह की खबरें आ रही हैं. टीएस सिंहदेव ने लेमरू एलिफेंट रिजर्व को लेकर सीएम भूपेश बघेल को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा कि मैंने कभी कैबिनेट में लेमरू का एरिया कम करने को नहीं कहा है. ”न लिखित न मौखिक”. सिंहदेव ने कहा कि मैंने 1995.48 वर्ग किमी की सहमति जताई थी. इसी को लेकर वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने बड़ा बयान दिया है.
इस पर वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने तीन दिन पहले कहा था कि लेमरू के क्षेत्रफल को लेकर फैसला मंत्रिमंडल की बैठक में होगा. अकबर ने कहा कि इससे पहले कैबिनेट में लेमरू का प्रेजेंटेशन हुआ था, जिसमें कुल क्षेत्रफल 1995.48 वर्ग किलोमीटर करने का प्रस्ताव था लेकिन नोटिफिकेशन नहीं हुआ था.
दरअसल, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने 30 जून 2021 को सीएम भूपेश बघेल को चिट्ठी लिखी थी. उसमें उन्होंने कहा था कि मैंने कभी कैबिनेट में लेमरू का एरिया कम करने को नहीं कहा ”न लिखित न मौखिक”. TS सिंहदेव ने कहा मैंने कभी 450 किलोमीटर करने का समर्थन नहीं किया. 1995 किमी का समर्थन किया था. इसमें अम्बिकापुर विधानसभा के गांव नहीं आ रहे थे.
साथ ही सिंहदेव ने कहा कि लेमरू हाथी रिजर्व का क्षेत्र 450 वर्ग किलोमीटर तक सीमित किया जाये. यह पूर्णतः तथ्यविहीन है. क्योंकि मेरे द्वारा ऐसा कोई भी अनुरोध नहीं किया गया है. मैंने स्वयं कैबिनेट की बैठक में और अन्य स्तरों पर इस अभयारण्य को 1995,48 वर्ग कि.मी. स्थापित करने का समर्थन किया है.
पत्र में सिंहदेव ने कहा कि मेरे विधानसभा क्षेत्र के विकासखंड उदयपुर और लखनपुर के कई गांवों के ग्रामीणों ने यह जानकारी दी कि वन विभाग के अधिकारी ग्राम पंचायतों पर यह दबाव बना रहे हैं कि उनको नागो को लेमरु हाथी रिजर्व क्षेत्र में शामिल करने की ग्राम सभा से सहमति ली जाए.
ऐसी स्थिति मैंने जब इसकी जानकारी ली तो पता चला कि लेमरू हाथी रिजर्व 1995.48 वर्ग किलोमीटर से बढ़ा कर 3827.64 वर्ग किलोगीटर प्रस्तावित किया जा रहा था, तब ग्रामीणों की आपत्तियों को सामने रखा था. वह यह कि राजस्व ग्रामों को इस अभयारण्य में न लिया जाए. किसी भी गांव को अभयारण्य में शामिल करने से पहले ग्राम पंचायतों की सहमति ली जाए. इन जनभावनाओं का हमें आदर करना चाहिए.
साथ ही सिंहदेव ने लिखा कि मैंने कैबिनेट की बैठक में लिए निर्णय के बाद लेमरू हाथी अभयारण्य और रिजर्व को 450 वर्ग कि.मी. तक ही रखा जाए. ऐसा कभी नहीं कहा है. न मौखिक न लिखित. इस के अतिरिक्त मेरा यह भी सुझाव है कि यूपीए शासन काल में No Go Area के निर्णय को दोबारा लागू किया जाए.
क्या है लेमरू प्रोजेक्ट–
लेमरू प्रोजेक्ट में एक कॉरिडोर होगा, जिसमे हाथी रहेंगे. वन विभाग इनकी निगरानी के लिए अलग से अधिकारी और कर्मचारियों की नियुक्त करेगा, जो हाथी की प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखेंगे. वन विभाग के इस काॅारिडोर में लेमरू जंगल का सबसे अधिक क्षेत्र आएगा, जो जनसंख्या बाहुल्य नहीं है.
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