दुर्ग। चंदूलाल कोविड केयर हॉस्पिटल के डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ की कड़ी मेहनत के बलबूते 2 जिंदगियां बेहद कठिन परिस्थितियों के बाद भी बचा ली गई. ये कहानी कोरोना योद्धा 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला महालक्ष्मी और 59 वर्षीय शिवानी की है, जिन्होंने ऑक्सीजन लेवल 50 होने के बाद भी ‘काल’ से जंग जीत ली.
कोरोना योद्धा दादियों की कहानी
दरअसल, जब महालक्ष्मी का ऑक्सीजन लेवल डाउन हुआ, तो इनके परिजनों ने उन्हें अस्पताल ले जाने का निर्णय किया. परिजनों ने अस्पताल पहुंचकर बताया कि ऑक्सीजन लेवल 50 से 60 के बीच आ रहा है. मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए इन्हें तुरंत भर्ती किया गया. ऑक्सीजन सपोर्ट आरंभ कर दिया गया. इसके साथ ही मेडिसिन प्लान की गई. स्थिति में लगातार सुधार हुआ. फिर 20 दिन के इंतजार खत्म हुआ और दादी घर पहुंची.
ऑक्सीजन लेवल कम, फिर भी जीती जंग
महालक्ष्मी के पोते ने बताया कि हॉस्पिटल स्टाफ ने दादी का बहुत ध्यान रखा. लगातार स्वास्थ्य की मानिटरिंग करते रहे. दवाइयां देते रहे. हॉस्पिटल के स्टाफ के प्रोत्साहन ने दादी की हिम्मत बढ़ाई और वे धीरे-धीरे स्वस्थ होती गईं. इतने कम लेवल पर ऑक्सीजन चले जाने के चलते हम लोग काफी घबरा गए थे, लेकिन कोविड केयर सेंटर के डाॅक्टरों ने आश्वस्त किया. मेडिकल पैरामीटर में लगातार सुधार आ रहा है. दादी रिकवरी की राह पर हैं. इससे हम सबका भी मन बहुत मजबूत हुआ. उन्होंने कहा कि हॉस्पिटल में खाने-पीने की व्यवस्था और साफ-सफाई भी बढ़िया रही.
हॉस्पिटल के मेडिकल आफिसर डाॅ. अनिल शुक्ला ने बताया कि हम लोग मरीजों के मनोबल पर भी पूरा ध्यान दे रहे हैं. डाॅक्टर्स राउंड के समय मरीजों को मोटिवेट करते हैं. नर्सिंग स्टाफ भी हमेशा मोटिवेशन बनाए रखते हैं. हर कुछ घंटे में विशेषज्ञ डाॅक्टर्स क्रिटिकल मरीजों के ट्रीटमेंट की रणनीति के संबंध में चर्चा करते हैं. आगे के लिए प्लान तैयार करते हैं. इसका अच्छा असर होता है और रिकवरी तेज होती है.
इसी तरह सुभाष नगर की 59 वर्षीय शिवानी की भी कहानी है, जब हॉस्पिटल आईं थी, तो सांस लेने में दिक्कत के साथ डायरिया से भी जूझ रही थीं. उनका ऑक्सीजन लेवल 80 तक पहुंच गया था. कमजोरी और बुखार भी था. ऐसे में इनकी तकलीफों को देखते हुए अलग-अलग तरह से मेडिसीन प्लान की गई. कई पैरामीटर्स पर काम करना था. अस्पताल के विशेषज्ञों ने लगातार चर्चा की. इनका ट्रीटमेंट प्लान किया.
डाॅ. अनिल शुक्ला ने बताया कि आज शिवानी भी अस्पताल से डिस्चार्ज हुईं है. उनके भतीजे ने बताया कि चंदूलाल चंद्राकर कोविड केयर हास्पिटल में बुआ का अच्छे से ध्यान रखा गया. यहां खाने-पीने की सुविधा बहुत अच्छी थी. साफ-सफाई की व्यवस्था भी अच्छी रही. आज वो डिस्चार्ज हुईं, अस्पताल का अनुभव बहुत अच्छा रहा.
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