सत्या राजपूत, रायपुर. छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के राजस्व अधिकारियों के कामकाज को लेकर इन दिनों तहसील दफ्तरों में तरह तरह की चर्चाएं चल रही है. चर्चा अधिकारी-कर्मचारियों में कामकाज के अनुचित बंटवारे को लेकर है. रायपुर जिले में राजस्व अधिकारी पर्याप्त संख्या में उपलब्ध हैं. चाहे बात अपर कलेक्टर की हों, जॉइंट कलेक्टर की हो या डिप्टी कलेक्टर की. बात यदि तहसीलदार,नायब तहसीलदारों की करें, तो वो भी जिले को पर्याप्त संख्या में उपलब्ध है परंतु उनकी पदस्थापना अचंभित कर देने वाली है.

राजस्व अधिकारियों ने चर्चा में बताया कि किसी तहसील में एक भी तहसीलदार नहीं है, तो खरोरा तहसील एक ही तहसीलदार के जिम्मे में है. इसके अलावा उप तहसीलो का हाल और अचंभित कर देने वाला है. सारागांव उप तहसील में दो-दो नायब तहसीलदारों की पदस्थापना है जो वर्तमान में चर्चा का विषय बना हुआ है.

क्या है सारागांव उप तहसील का विवाद?
सारागांव उप तहसील में रायपुर कलेक्टर के आदेश से पदस्थ नायब तहसीलदार का स्थानांतरण रायपुर तहसील में हुआ और सारागाव उप तहसील में नये नायब तहसीलदार की पदस्थापना की गई. नये नायब तहसीलदार ने कलेक्टर के आदेश के फलस्वरूप उप तहसील सारागांव में अपनी उपस्थिति तो दी, परंतु दूसरे नायब तहसीलदार ने अपनी नयी पदस्थापना रायपुर तहसील में जॉइन नहीं किया, ना ही उनको उप तहसील सारागांव से रीलिव किया गया. उसी दौरान आचार संहिता प्रभावशील हुई और दोनों के मध्य कार्य विभाजन कर दिया गया. कार्य विभाजन में भी असंतुलन की बातें राजस्व अधिकारी करते हैं.

आचार संहिता 6 जून को ख़त्म हो चुकी है, बावजूद इसके आज पर्यंत सारागांव उप तहसील से संबंधित रायपुर कलेक्टर द्वारा आदेश प्रभावशील नहीं हो पाया है. इस बारे में लल्लूराम डॉट कॉम ने कलेक्टर से बात करने की कोशिश की,लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया,जबकि रायपुर एसडीएम का कहना है, कि सारागांव उप तहसील में कार्य विभाजन के बाद सब कुछ ठीक कर दिया गया है. अब प्रश्न ये है की जब संबंधित नायब तहसीलदार को उस उप तहसील से हटाना ही नहीं था तो उसका स्थानांतरण कर किसी अन्य नायब तहसीलदार की पदस्थापना क्यों की गई ? यदि रायपुर कलेक्टर ने कोई आदेश जारी किया तो उस का पालन क्यों नहीं किया गया ?

बहरहाल खबर ये है कि संबंधित उन नायब तहसीलदार के पदोन्नति तक वे वहीं पदस्थ होंगे. बात यहीं खत्म नहीं हो जाती अभनपुर अनुविभाग के खोरपा उप तहसील में भी एक तहसीलदार और एक नायब तहसीलदार की पदस्थापना की गई है जो कि आश्चर्यजनक है..

इसी प्रकार रायपुर तहसील में एक नायब तहसीलदार के सेवानिवृत्त होने पर भी उनके स्थान पर किसी अन्य राजस्व अधिकारी कि नियुक्ति नहीं की गई, बल्कि रायपुर तहसील में ही काम का सर्वाधिक बोझ है..वहीं रायपुर तहसील में लंबे समय से पिछली सरकार से जमे राजस्व अधिकारियों को भी नहीं हटाया गया. इसके अलावा तहसीलों में रीडर पटवारी और राजस्व निरीक्षकों की सर्जरी पर भी कोई पहल दिखाई नहीं पड़ रही है. अनुविभाग में लंबे समय से ये पैर जमाये बैठे हुए है.

कुल मिलाकर आचार संहिता की समाप्ति को दो सप्ताह बीत चुके हैं, बावजूद उसके आज पर्यंत तहसीलदार नायब तहसीलदारों की अव्यवस्थित पदस्थापना को व्यवस्थित करने एवं लंबे समय से जमे पटवारी, राजस्व निरीक्षक और सहायक ग्रेड कर्मचारियों की सर्जरी का जरुरी कार्य जिला प्रशासन द्वारा नहीं किया गया है.