रायपुर। कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव विकास उपाध्याय ने कोरोना राहत के नाम पर आर्थिक पैकेज का एलान पर कहा, मोटे तौर पर यह उधार बांटने की ही योजना है,”ऋणम कृत्वा घृतं पीवेत्”… यानी कर्ज़ लो और घी पियो. लगता है कि मोदी सरकार ऐसा ही कुछ कहना चाहती है और एक बार नहीं बार-बार कह रही है. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सोमवार को कुल 6,28,993 करोड़ रुपए का नया पैकेज लाने का एलान इसी का एक हिस्सा है.

 आर्थिक पैकेज को लेकर सियासत

विकास उपाध्याय ने कहा कि सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस वक्त कंज्यूमर की जेब में पैसे डालकर मांग बढ़ाने की ज़रूरत है. उस वक्त केन्द्र की मोदी सरकार व्यापारियों और उद्यमियों को कर्ज देने पर क्यों इतना ज़ोर दे रही है? कर्ज लेकर कोई उद्योगपति या दुकानदार करेगा क्या? उसके लिए कर्ज की जरूरत या अहमियत तभी होती है, जब उसके सामने ग्राहक खड़े हों और उसे माल ख़रीदने, भरने या बनाने के लिए पैसे की जरूरत हो. देश की हालत आज ऐसा नहीं है। मोदी सरकार की लचर व्यवस्था के कारण देश आज आर्थिक आपातकाल से गुजर रही है.

विकास उपाध्याय ने कहा कि इस बात पर गंभीर सवाल है कि इन योजनाओं से कितना फ़ायदा होगा और किसे होगा? सरकार पहले ही जो क्रेडिट गारंटी स्कीम लाई थी, उसमें तीन लाख करोड़ के सामने सिर्फ़ दो लाख 69 हज़ार करोड़ रुपए का ही कर्ज उठा है. फिर डेढ़ लाख करोड़ बढ़ाकर सरकार क्या हासिल करेगी.

इस वक्त की सबसे बड़ी मुसीबत है बाज़ार में मांग की कमी और उसकी वजह है लाखों की संख्या में बेरोजगार हुए लोग, बंद पड़े कारोबार और लोगों के मन में छाई हुई अनिश्चितता. सरकार को कुछ ऐसा करना चाहिए, जिससे इसका इलाज हो और तब शायद उसे इस तरह कर्ज बांटने की जरूरत नहीं रह जाएगी. विकास उपाध्याय ने मोदी की भाजपा को इसके लिए कहा,जब तक जियो सुख से जियो. और यहां तो हाल ऐसा है कि दुख ही दूर होने का नाम नहीं ले रहा.

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