महासमुंद. करनीकॄपा पावर प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना के लिए महासमुंद जिले की ग्राम खैरझिटी की हाई स्कूल में पर्यावरण संरक्षण मंडल रायपुर छत्तीसगढ़ द्वारा गुरुवार को जनसुनवाई रखी गई थी. जिसमें क्षेत्र की ग्रामीणों ने आपत्ति दर्ज की है.

जनसुनवाई का विरोध करते हुए महासमुंद जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक-1 के सदस्य जागेश्वर जुगनू चंद्राकर ने कलेक्टर और पीठासीन अधिकारी के समक्ष आपत्ति पत्र प्रस्तुत कर कहा कि ग्राम खैरझिटी (कौंवाझर) में वृहद औद्योगिक प्रयोजन के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए 7 अक्टूबर को जनसुनवाई आयोजित की जा रही है, जिसे निरस्त किया जाना अति आवश्यक होगा. क्योंकि पर्यावरण अधिनियम 2006 के तहत यह जनसुवाई नहीं हो रही है. इसलिए इस सुनवाई को निरस्त किया जाए. महामारी अधिनियम के चलते शासन-प्रशासन किसी प्रकार का भीड़ इकट्ठा नहीं कर सकता, जो महामारी अधिनियम के विरूद्ध है. इसलिए यह जनसुनवाई निरस्त किया जाए. एनवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट ( EIA ) रिपोर्ट क्षेत्रीय भाषा में नहीं होने की वजह से उद्योग प्रबंधन द्वारा राज्य सरकार को दिए गए आवेदन के 45 दिन के भीतर जनसुनवाई होनी चाहिए थी, जो नहीं हुआ है. इसलिए सुनवाई निरस्त किया जाए.

जुगनू चंद्राकर ने कहा कि क्षेत्र में पहला जनसुनवाई है. जिसका प्रचार-प्रसार 10 किलोमीटर के गांव में होना चाहिए था और सभी ग्रामों में होना चाहिए था. साथ ही सभी ग्रामों में आम सभा लगाकर मुनादी कर उद्योग से होने वाले फायदे और नुकसान को बताना था, जो पर्यावरण विभाग एवं प्रशासन द्वारा नहीं किया गया है. इसलिए जनसुनवाई निरस्त किया जाए. ईआईए रिपोर्ट बनाने वाली कंपनी द्वारा जमीनी सर्वे नहीं किया गया है और इस क्षेत्र में ऐतिहासिक स्थालों व प्राकृतिक जल स्त्रोतों को नहीं दर्शाया गया है, इसलिए ईआईए रिपोर्ट फर्जी है. इसलिए उद्योग प्रबंधन और ईआईए रिपोर्ट बनाने वालों ने साजिश व षडयंत्र कर जनता और प्रशासन के साथ धोखाधड़ी करने का अपराध पंजीबद्ध किया जाए और गिरफ्तार किया जाए.

प्रस्तावित परियोजना के लिए पूरी भूमि आबंटित नहीं – तेजराम विद्रोही

अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के राज्य सचिव तेजराम विद्रोही ने कहा कि करनीकृपा पावर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा करीब 125 एकड़ भूमि पर परियोजना स्थापित किया जाना है, जिसमें से 100 एकड़ भूमि कंपनी द्वारा भूस्वामियों से समझौता कर लिया गया है. लेकिन बाकी 25 एकड़ भूमि समझौता के ली प्रक्रियाधीन है. जनसुनवाई से पहले 10 किलोमीटर की परिधि में उद्योग लगने का क्या प्रभाव होगा इसके बारे में जनजागरण अभियान चलाया जाना चाहिए था जो नहीं किया गया है. साथ ही उद्योग में काम करने वाले मजदूर कौन होंगे उनकी प्रवित्ति जैसे स्थायी, अस्थायी, ठेका मजदूर आदि क्या होगी इसकी भी जानकारी ग्रामीणों को नहीं दी गई है. स्थानीय स्तर पर कुशल, अर्द्धकुशल व अकुशल मजदूरों की संख्या क्या होगी इसकी भी जानकारी क्षेत्र के लोगों को नहीं दी गई है.
कुल मिलाकर शासन द्वारा निजी कंपनी से मिलीभगत कर ग्रामीणों को गुमराह कर उद्योग स्थापित की जा रही है. इसलिए इस जनसुनवाई को तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए.