आशुतोष तिवारी, जगदलपुर। संभाग के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज कहे जाने वाले स्व. बलिराम कश्यप मेडिकल कॉलेज में एक बार फिर से स्वास्थ्यकर्मियों को मिलने वाले भोजन की क्वालिटी पर सवाल उठे है. कोविड वार्ड में ड्यूटी करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों ने इस मामले पर नाराजगी जाहिर की है.
मिली जानकारी के अनुसार, डिमरापाल मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड में कोरोना काल के दौरान बीते कई महीनों से स्वास्थ्यकर्मी कोरोना संक्रमित मरीजों की पूरी लगन से सेवा कर रहे है. लेकिन इन्ही स्वास्थ्यकर्मियों को यहां खराब क्वालिटी का खाना परोसा जा रहा है. जिसकी वजह से स्वास्थ्यकर्मियों ने अपनी नाराजगी जाहिर की है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, स्वास्थ्यकर्मियों को स्वादहीन भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा है. स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा शिकायत करने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही है. बताया गया कि कुछ दिनों पहले तो स्वास्थ्यकर्मियों को बांसी खाना भी परोस दिया गया था. कोरोना जैसे वैश्विक महामारी से ग्रसित मरीजों की सेवा करने में जुटे इन स्वास्थ्यकर्मियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
कोरोना काल के दौरान भी कई बार मेकॉज के कोविड वार्ड के स्वास्थ्यकर्मियों और तत्कालीन कोरोना संक्रमितों मरीजों ने उनको मिलने वाले भोजन को लेकर शिकायतें की थी. जिसके बाद सम्बन्धित अधिकारियों और बस्तर कलेक्टर के द्वारा इस मामले में हस्तक्षेप करने के बाद भोजन की क्वालिटी में सुधार किया गया था. वहीं इस मामले को गम्भीरता से लेते हुए बस्तर कलेक्टर रजत बंसल ने खाना बनाने वाले ठेकेदार को फटकार भी लगाई थी. एक बार फिर से ऐसे ही शिकायतें मेकॉज से बाहर निकलकर आ रही है.
बता दें कि मेकॉज प्रबंधन को सरकार से 100 रुपये मिलते थे. जिसमें स्थानीय प्रशासन डीएमएफ फंड से 150 रुपये का आर्थिक सहयोग मिलता था. दोनों रकम को मिलाकर 250 रुपये फ़ूड पैकेट्स तैयार किये जाते थे. लेकिन अब प्रशासन ने डीएमएफ फंड से मिलने वाली रकम में कटौती कर दी है. जिसके बाद 100 रुपये फ़ूड पैकेट्स तैयार किये जा रहे है.
ऐसे में निचले स्तर की क्वालिटी का भोजन स्वास्थ्यकर्मियों को परोसा जा रहा है. जिसकी शिकायत लगातार मेकॉज प्रबंधन से की जा रही है. वहीं इस मामले में डिमरापाल मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ केएल आजाद का कहना है कि बासी भोजन परोसने का आरोप गलत है. हर दिन खपत के अनुसार ही भोजन बनाया जाता है. यहीं वजह है कि सारे लोगों को बांटने के बाद भोजन नहीं बचता है.