सत्यपाल सिंह,रायपुर। छत्तीसगढ़ में निजी स्कूलों के फीस विवाद का मसला अभी तक पूरी तरह से नहीं सुलझा है. निजी स्कूलों के मनमानी के चलते बच्चे मानसिक रूप से परेशान हो रहे है. यही वजह है कि बच्ची साल भर पढ़ाई करने के बाद परीक्षा से वंचित कर देने की धमकी के कारण आत्महत्या कर लेने की चेतावनी दी है. नियम कानून होते हुए भी बच्चों में मानसिक दबाव और आत्महत्या करने की बात करना बहुत ही चिंताजनक है. अब बच्चों के मन से सरकारी तंत्र से भरोसा ही उठ गया है.

मानवाअधिकार आयोग के सचिव बिंदु मोल ने बताया कि बीती रात होलीक्रास बैरन बाजार में पढ़ने वाली छात्रा उनके पास आई थी. उसने कहा कि यदि मुझे स्कूल से निकाला गया या परीक्षा से वंचित किया गया, तो आत्महत्या कर लूंगी. उस छात्रा को समझाने और ब्रेन वास करने में एक घंटा से भी अधिक का समय लग गया.

उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों के द्वारा बच्चों को दबाव बनाना गलत है. इससे बच्चे मानसिक दबाव के शिकार हो रहे हैं. अपने आप को दूसरे बच्चों की तुलना में कमजोर समझने लग गए हैं. सचिव बिंदु मोल ने कहा कि बच्चों के अधिकार के लिए नियम कानून है, लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही यह गंभीर बात है. इसका दुष्प्रभाव बच्चों में हो रहा है. इसको लेकर आज बाल आयोग से शिकायत की गई है. वहां से संबंधित विभाग को लेटर जारी कर कार्रवाई करने की बात कही गई है.

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बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सचिव प्रतीक खरे ने कहा कि मामला गंभीर है. उन्होंने तत्काल स्कूल शिक्षा सचिव, संचालक को लिखा पत्र लिखकर जांच कर कार्रवाई करने का आग्रह किया है. छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग में वर्तमान समय में अध्यक्ष और समस्त सद्स्यों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है. ऐसी स्थिति में प्रकरण में सुनवाई संभव नहीं है. इसलिए प्रकरण संज्ञान लेकर नियमानुसार कार्रवाई करें. ताकी बच्चों के अधिकारों का हनन न हो और बाल अधिकारों का संरक्षण किया जा सकता है.