संदीप सिंह ठाकुर, लोरमी. जंगल मे मोर नाचा किसने देखा यह कहावत अचानकमार टाइगर के जंगल में इन दिनों चरितार्थ हो रहा है.
अचानकमार टाइगर रिजर्व के जंगलों में वन्यप्राणी सुरक्षित नहीं हैं. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, दरअसल वन परिक्षेत्र अचानकमार के कोर जोन अंतर्गत सिहावल सागर के तालाब में खुलेआम जेसीबी मशीन से मेंटनेंस कार्य कराया जा रहा है. जहां मौके पर वनपाल प्रदीप तिर्की भी मौजूद थे.

जानकारी के मुताबिक पांच दिनों पहले सिहावल सागर से लगे वन विकास निगम के क्षेत्र टिंगीपुर के जंगल में राष्ट्रीय पशु बाघ के शावक का शव मिला था. जिसे पोस्टमार्टम के बाद घटनास्थल में ही जला दिया गया. इसके बावजूद विभाग के निर्देश पर जेसीबी मशीन से ठेकेदार द्वारा धड़ल्ले से कार्य कराया जा रहा है. वहीं इस खबर को lalluram.com की टीम कवरेज के लिए मौके पर पहुंची तो कार्य में लगे जेसीबी मशीन को संबंधित ठेकेदार रवि गोयल सहित वनपाल प्रदीप तिर्की के द्वारा तालाब से लगे जंगल में छिपा दिया गया.

इधर मामला उजागर होने के बाद कोर जोन के एसडीओ प्रहलाद यादव ने अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा कि सिहावल सागर में किसी तरीके से जेसीबी मशीन से कार्य नहीं कराया जा रहा है. जेसीबी से कार्य होने की मुझे कोई जानकारी नहीं है. तीन चार रोज पहले वहां गया था, लेकिन वहां ऐसा कुछ नही था. आजकल में कुछ होगा तो रेंजर से पता करने के बाद ही कुछ बता पाऊंगा, इसकी जानकारी मुझे भी नहीं है. उन्होंने कहा कि बाघ के गणना के लिए 15 दिनों पहले जंगल मे ट्रेप कैमरे लगाया गया है, जिसे 4 दिसंबर को निकाला जाएगा.

उधर डीएफओ सत्यदेव शर्मा ने कहा कि विभाग की अनुमति से जहां मजदूरी नहीं कराया जा सकता वहां जंगल में जेसीबी मशीन से कार्य कराया जाता है. इसमें किसी भी प्रकार की कोई बात नहीं है. टाइगर का गणना खत्म हो गई है सांथ ही गणना का एक पार्ट है ट्रेप कैमरा, इसलिए जंगल मे कैमरा लगा हुआ है. सिहावल सागर में जेसीबी से कार्य कराने के सवाल पर कहा कि यह हो ही नहीं सकता.
इस पूरे मामले में बड़ा सवाल यह है कि प्रत्येक चार साल में टाइगर का गणना होता है और इस वर्ष जंगल मे टाइगर का गणना हो रही है. इसके तहत जंगल में ट्रैप कैमरे भी लगाए गए हैं ताकि टाइगर का गणना ठीक तरीके से किया जा सके. ऐसे में यदि जंगल के कोर जोन में जेसीबी मशीन से विभाग के अधिकारियों के संरक्षण में ठेकेदार द्वारा कार्य कराया जा रहा है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वन्य प्राणी जंगल में कितने सुरक्षित होंगे और टाइगर का गणना कितना सही तरीके से होगा. वहीं जेसीबी या अन्य मशीन के शोर-शराबे की आवाज के चलते जंगली जानवर मैदानी इलाके में भटक रहे हैं.