रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में 1 दिसंबर को गहमागहमी के बीच आरक्षण विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया था, लेकिन आरक्षण बिल पर अब तक राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं हुए हैं. ऐसे में सर्व आदिवासी समाज पदयात्रा कर राजभवन पहुंचा, लेकिन राज्यपाल से मुलाकात नहीं हो पाई. ऐसे में सर्व आदिवासी समाज ने आरक्षण को लेकर नसीहत दी है कि विधेयक पर फिर से विलंब होगा तो ऐसा आंदोलन करेंगे जो पहले कभी हुआ नहीं था.

दरअसल, सर्व अदिवासी समाज का प्रतिनिमंडल 32 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर राजभवन पहुंचा. जहां आरक्षण विधेयक पर राज्यपाल से सर्व आदिवासी समाज के प्रतिनिमंडल की मुलाकात नहीं हो सकी, क्योंकि राज्यपाल का तबादला हो गया है. अब यहां के राज्यपाल बिस्वा भूषण हरिचंदन होंगे.

अदिवासी नेता कुंदन ठाकुर ने कहा कि हमने राजभवन का घेराव किया था, उस समय भी राज्यपाल से मुलाक़ात नहीं हुई थी. ऐसे में सर्व अदिवासी समाज का प्रतिनिमण्डल पदयात्रा कर विधेयक पर हस्ताक्षर की मांग को लेकर पदयात्रा कर रायपुर पहुंचे.

कुंदन ठाकुर ने कहा कि दंतेवाड़ा से रायपुर तक हमने पदयात्रा की. महामहिम से मिलने का समय मांगा था, लेकिन कोई जवाब नहीं आया. आज भी उनसे मुलाकात नहीं हो पाई. पता चला राज्यपाल बदल गई हैं, हम करें तो करें क्या. दो- दो बार आये महामहिम नहीं मिल पाई. आज नहीं गईं तो कम से कम मिल लेती.

अदिवासी नेता कुंदन ठाकुर ने कहा कि आदिवासियों को ऐसा दिन देखना पड़ रहा है, तो इससे शर्म की बात कोई और नहीं है. विधेयक पर फिर से विलंब होगा तो हम चक्कजाम करेंगे, पेड़ काटेंगे. ऐसा आंदोलन करेंगे जो पहले कभी हुआ नहीं था.

बता दें कि छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 13 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है. मुख्यमंत्री ने लोकसेवा आरक्षण और शैक्षणिक संस्था प्रवेश में आरक्षण विधेयक सदन में पेश किया था. सदन में चर्चा के पश्चात सर्वसम्मति से विधेयक पारित हुआ था.

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