रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के चौथे दिन की कार्रवाई के दौरान महिला कांग्रेस विधायक छन्नी साहू का दर्द फूट पड़ा. गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू से उन्होंने कहा कि यदि उनकी पार्टी की महिला विधायक सुरक्षित नहीं है, तो आम जनता का क्या हाल होगा. आसंदी ने व्यवस्था देते हुए कहा कि विधायक के विरुद्ध कार्यवाही उचित नहीं है. सदस्यों के विरुद्ध दर्ज प्रकरणों की पुनः जांच कराने के निर्देश देते हुए 11 मार्च को सदन शुरू होने से पूर्व जांच रिपोर्ट देने को कहा. इसके साथ ही विधायकों की सुरक्षा बढ़ाकर दोगुनी करने को कहा.
विधायक छन्नी साहू ने सदन की कार्यवाही के दौरान दोषियों को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए कहा कि संविधान के हिसाब से कार्य किया जाना चाहिए. मेरे पति के खिलाफ झूठी शिकायत पर एट्रोसिटी का जुर्म दर्ज कर लिया गया. उन्होंने कहा कि कई भ्रष्ट अफसर सरकार को भ्रमित कर रहे हैं. झूठी शिकायतों पर कार्रवाई हो रही है. मैने सुरक्षा लौटाने के पहले गृह मंत्री से भी से भी बात की फिर भी न्याय नहीं मिला.
नेताप्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक ने छन्नी साहू का पक्ष लेते हुए कहा कि उन्हें प्रताड़ित करने का कार्य हो रहा. छन्नी साहू अकेली नहीं कई विधायकों पर कार्रवाई की जा रही है. सदस्यों के सम्मान की रक्षा नहीं हो रही तो बाहर सम्मान की रक्षा कहां से होगी. बदले की भावना से यदि विधायकों पर कार्रवाई हो रही है, तो कानून व्यवस्था पूर्ण रूप से चरमरा गई है. आसंदी के संरक्षण के साथ कार्रवाई हो. विधानसभा अध्यक्ष से मामले पर संज्ञान लेने की मांग की.
बीजेपी विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि इसे गंभीर मामला कुछ और नहीं हो सकता. महिला विधायक के साथ तीन माह से जो घटनाएं हो रही वह शर्मनाक है. इसके साथ ही उन्होंने सदस्यों की गरिमा का सवाल उठाया. मामले पर सदन में शोरगुल के बीच जेसीसीजे विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा कि जनता ने विधायकों को चुना है, उनका सम्मान होना चाहिए. पुलिस का दुरुपयोग होने का हश्र बुरा होता है. साथ ही उन्होंने लगाए गए एस्ट्रोसिटी एक्ट को खत्म करने की बात कही.
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विधायक शिवरतन शर्मा ने सदन समिति बनाकर सदन से जांच करने की मांग की. विधायक नारायण चंदेल ने कहा कि विधायक भय में रहेगा तो सदन कैसे चलेगा. विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि संरक्षण के चलते कार्रवाई नहीं हो रही है. डॉ रमन सिंह ने कहा कि ऐसा दृश्य अब तक नहीं देखा कि विधायक आंसू बहाते हुए पीड़ा व्यक्त कर रही हो. मामले का तत्काल निराकरण आवश्यक है. जिम्मेदार अधिकारियों से पूछताछ आवश्यक है.
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