रायपुर. पांचवीं विधानसभा के पहले सत्र में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रमुख अजीत जोगी ने राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान कहा कि मेरे हाथ में तीन दस्तावेज हैं. एक कांग्रेस का जन घोषणा पत्र, एक राज्यपाल का अभिभाषण और एक अनुपूरक बजट, जब मैंने इन तीनों दस्तावेजों को पढ़ा तो मुझे इसमें विरोधाभास लगता है.

जोगी ने कहा कि कांग्रेस का जो घोषणा पत्र है, उसे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने सभाओं में दोहराया. उन्होंने कहा कि मैं आश्वासन देता हूँ कि सरकार बनने पर दस दिनों के भीतर किसानों का कर्ज माफ हो जाएगा. उन्होंने ये नहीं कहा था कि कुछ किसानों का कुछ कर्ज माफ हो जाएगा. मुख्यमंत्री ने चार दिन के भीतर ही अधिसूचना जारी की. उस अधिसूचना की कंडिका 4 महत्वपूर्ण है. इस कंडिका में चार वर्ग के किसानों का कर्जा माफ नहीं होगा, उसका जिक्र किया गया है.

उन्होंने कहा कि एक तरफ कहा गया कि हर किसानों का हर कर्ज माफ होगा, लेकिन अधिसूचना में कहा गया इन चार किसानों का कर्ज माफ नहीं होगा. इसमें किसानों के दीर्घकालीन कर्ज, आरबीआई द्वारा संचालित बैंकों से लिये गए कर्ज, निजी कर्ज और संपत्ति को गिरवी रखकर जो किसान कर्ज लेता है वह भी माफ नहीं होंगे. यदि इन चार बिदुओं पर लिए गए कर्ज माफ नहीं होंगे, तो किसानों के कर्जमाफी को लेकर किया गया चिंतन व्यर्थ है.

72 फीसदी किसान साहूकार से कर्ज लेता है

जोगी ने कहा कि 72 फीसदी कर्ज किसान साहूकार से लेता है. हमारी बैंकिंग व्यवस्था और सहकारी व्यवस्था से 28 फीसदी कर्ज लेता है. आंकड़ों के हिसाब से एक साल में 858 किसानों ने आत्महत्या की है. तीन सालों में ढाई हजार-तीन हजार किसानों ने आत्महत्या की है. इनमें से ज्यादातर दीर्घकालीन कर्ज लिए किसानों ने आत्महत्या की, जिन्होंने ट्रैक्टर या बारबेत वायर जैसी चीजों के लिए बड़ा कर्ज लिया था, और नहीं पटा पाने की वजह से आत्महत्या कर ली और दूसरा निम्न वर्ग का किसान, जिसने साहूकार से ब्याज लेकर खेती की, न पटा पाने की वजह से किसानों ने आत्महत्या की है.

कर्ज माफी के बाद बैंकों ने कर्ज देने से मना कर दिया

जब कर्ज माफ करने का हल्ला होने वाला है, तब बैंकों ने कर्ज देने से मना कर दिया इस डर से कहीं की कर्ज दिया गया पैसा एनपीए न हो जाए. बिलासपुर विधायक शैलेष पांडेय ने मरवाही में किसान की आत्महत्या का मामला उठाया, जवाब में अजीत जोगी ने कहा कि मैने आत्महत्या करने के कारणों का जिक्र नहीं किया. इसके कई कारण हो सकते हैं. मैंने ये कहा कि साहूकारों से कर्ज लेने वाले किसान ज़्यादातर आत्महत्या करते हैं.

किसानों को कर्ज के कुचक्र से बाहर निकालना है

ऋण माफी का एक पहलू ये भी है कि यदि ऋण माफी इसी तरह से आधी-अधूरी हुई तो किसान कर्ज के चुंगल से कभी निकल नहीं पाएगा. वह तभी निकल पायेगा जब उस पर किसी तरह का कर्ज न बचा हो.  दूसरी शर्त ये है कि दूसरे वर्ष वह जो खेती कर उससे उसे इतना पर्याप्त मिल जाये कि उसे ऋण लेने की जरूरत न पड़े. आज मुझे अच्छा लगता है कि जिस किसान से बात करो वह खुश है. लेकिन मैं इससे आगे बढ़कर बात कर रहा हूँ. किसानों को आज खुश करना उद्देश्य नहीं है. कर्ज का जो कुचक्र चलता है वह उससे आगे निकले, जिसकी बात राहुल गांधी ने कहीं थी.

पंजाब और कर्नाटक में केवल दिखावे के लिए हुआ कर्ज माफ

अजीत जोगी ने कहा कि मैं चेतावनी के रूप में नहीं बल्कि एक सावधानी के रूप में मुख्यमंत्री से कहना चाहता हूं. जैसी घोषणा हमारे यहां हुई वैसी ही घोषणा पंजाब और कर्नाटक में हुई. पंजाब में जब अमरिंदर सिंह ने जोड़कर देखा तो पंजाब के किसान के ऊपर 90 हजार करोड़ रूपये का कर्ज है, लेकिन उन्होंने माफ किया केवल 3 हजार करोड़ रूपये यानी केवल 3 फीसदी कर्ज माफ किया गया. इससे ज्यादा बुरी स्थिति कर्नाटक की है, जहां कुल कर्ज 48 हजार करोड़ रुपये है, केवल 75 करोड़ का कर्ज माफ हुआ है. लाभान्वित होने वाले किसानों की संख्या सिर्फ 398 है. एक दूसरी रिसर्च में इन तीनों राज्यों के कर्जमाफी की तुलना की गई. तो ये माना गया है कि पंजाब और कर्नाटक किसानो का कर्ज माफी नहीं कर सकता. यदि कोई राज्य कर सकता है तो तीन वर्ष में वह केवल छत्तीसगढ़ कर सकता है.

किसानों के लिए बनाया जाए अलग से बजट

अजीत जोगी ने कहा कि उचित होगा कि किसानों के लिए एक अलग बजट बना दिया जाए. करीब 20 हजार करोड़ कर्जमाफी के लिए लगेगा. पिछली सरकार ने किसानों के साथ बड़ा धोखा दिया. बीमा के एवज में जबरिया 10 हजार करोड़ रुपये प्रीमियम लिया गया. वादा न निभाने की वजह से पिछली सरकार चली गई. इसलिए मैं केवल सचेत करने के लिए कह रहा हूँ कि यदि वादा किया जाए तो उसे जरूर माफ किया जाना चाहिए.

अंग्रेजी साहित्यकार की पक्तियों को किया उद्धृत

इसके पहले राज्यपाल के अभिभाषण पर विधायक अजीत जोगी ने शायरी के साथ चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि ‘ वो चिराग और होंगे जो तेज हवाओं से बुझते होंगे..हमने तो जलने के हुनर तूफानों से सीखा है..’ उन्होंने अंग्रेजी के प्रसिद्ध साहित्यकार चार्ल्स के शब्दों का जिक्र करते हुए कहा कि वो सबसे अच्छा समय था, वह सबसे बुरा समय था, वह आशाओं की पसंद थी, वह निराशा की पसंद थी. हमारे सामने सब कुछ था, हमारे सामने कुछ भी नहीं था, हम सभी सीधे रास्ते पर जा रहे थे, हम सभी दूसरे रास्ते पर जा रहे थे.

ऐसा प्रचण्ड जन समर्थन सरकार के लिए चुनौती

ऐसा प्रचण्ड जनता का समर्थन शायद ही किसी सरकार को भविष्य में मिलेगा. ये सरकार जो कुछ करेगी या जो कुछ नहीं करेगी. जब इतिहासकार छत्तीसगढ़ का इतिहास लिखेगा तो क्या वो ये लिखेगा कि यह छत्तीसगढ़ के इतिहास का सबसे अच्छा समय था या ये लिखेगा कि छत्तीसगढ़ के इतिहास का यह सबसे बुरा समय था. यह सरकार के लिए चुनौती है कि ऐसा कुछ कर दिखाए कि इतिहासकार ऐसा कहे कि यह सरकार का सबसे अच्छा समय था.