प्रमोद कुमार/कैमूर। चैनपुर विधानसभा क्षेत्र में चुनावी हलचल के बीच एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। मुख्यमंत्री ग्रामीण विकास योजना के तहत मंत्री के फंड से एक लाख रुपये की लागत से चापाकल लगाने का निर्णय लिया गया था। इसके लिए बोर्ड भी लगाया गया और डीप बोरिंग की प्रक्रिया भी पूरी हुई, लेकिन आज तक चापाकल नहीं लगा। इस मामले ने ग्रामीणों के बीच सवाल खड़े कर दिए हैं कि आखिर इस राशि का उपयोग कहां हुआ।

उदयरामपुर गांव का मामला

मामला चैनपुर प्रखंड के उदयरामपुर गांव का है। ग्रामीणों ने बताया कि स्थानीय विधायक और मंत्री जमा खान के फंड से चापाकल लगाने की योजना पास हुई थी। बोर्ड भी लगाया गया और बोरिंग भी हुई, लेकिन वास्तविक चापाकल आज तक नहीं लगा। ग्रामीणों का कहना है कि अगर चापाकल लगाया होता, तो गांव के लोग और सड़क किनारे राहगीर पानी की सुविधा का लाभ उठा पाते।

ग्रामीणों की नाराजगी और सवाल

ग्रामीण चौधरी सिंह और बिपतु राय का कहना है कि यह इलाका पहाड़ी क्षेत्र में आता है और मार्च-अप्रैल के बाद पानी की समस्या गंभीर हो जाती है। लोग पानी के लिए दूर-दूर तक भटकते हैं। इसके बावजूद योजना सिर्फ कागजों में ही दिखाई गई। उन्होंने सवाल उठाया कि एक लाख रुपये खर्च करने के बावजूद चापाकल क्यों नहीं लगाया गया।

चापाकल की खोज में जुटे ग्रामीण

अब ग्रामीण खुद मंत्री के चापाकल की खोज में जुट गए हैं। वे जानना चाहते हैं कि योजना किस स्थान पर लागू की गई और फंड का वास्तविक उपयोग कहाँ हुआ। यह मामला यह भी दर्शाता है कि योजना का मकसद ग्रामीणों की सेवा करना नहीं बल्कि दस्तावेजों पर खर्च दिखाना रहा।

चुनौतीपूर्ण पहाड़ी इलाके में पानी की कमी

चैनपुर विधानसभा क्षेत्र में अधिकांश इलाका पहाड़ी है। यहाँ पानी की कमी हमेशा से एक गंभीर समस्या रही है। सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए दर्जनों चापाकल लगाने की योजना बनाई थी। बोर्ड लगा, बोरिंग हुई, लेकिन चापाकल नहीं लगा। इससे ग्रामीणों में गुस्सा और सवाल दोनों बढ़ गए हैं।

जांच की आवश्यकता

इस मामले की जांच होना जरूरी है कि चापाकल योजना के तहत कितने पैसे खर्च किए गए, कहां -कहां योजना लागू की गई और फंड का वास्तविक उपयोग किसने किया। ग्रामीणों का कहना है कि अगर चापाकल लग जाता तो लोगों की प्यास बुझती और पानी की समस्या कम होती। वहीं चुनावी माहौल में ऐसे मामलों से लोगों की नाराज़गी बढ़ रही है और मंत्री व अधिकारियों से जवाबदेही की मांग की जा रही है।