वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के शराब घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोपी बनाए गए पूर्व CM के बेटे भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की याचिका पर आज (सोमवार) को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस अरविंद वर्मा की सिंगल बेंच में हुई सुनवाई में ईडी की ओर से अपना पक्ष प्रस्तुत किया गया। इसके बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 15 सितंबर निर्धारित की है। इस दिन भी ईडी अपने पक्ष को अदालत के समक्ष रखेगा।

बता दें कि चैतन्य बघेल ने अपनी गिरफ्तारी और हिरासत को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। इससे पहले मामले में बीते 2 सितंबर को चैतन्य बघेल की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी, जिसमें ईडी ने अपना पक्ष रखा था और आज अगली सुनवाई की तारीख तय की गई है।
सुप्रीम कोर्ट की सलाह के बाद हाईकोर्ट में दायर की याचिका
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने ED द्वारा गिरफ्तारी और हिरासत को चुनौती देते हुए लगाई याचिका को चैतन्य बघेल को हाईकोर्ट जाने की सलाह देते हुए खारिज कर दी थी। जिसके बाद चैतन्य ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। इसमें कहा गया है कि उनकी हिरासत गैरकानूनी है और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया।
इस मामले में जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की सिंगल बेंच में लगातार सुनवाई जारी है। अब देखना यह है कि 15 सितंबर को आगामी सुनवाई में ईडी किस प्रकार से चालान दाखिल करती है और अदालत इसका क्या निर्णय देती है।
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 15 सितंबर तक न्यायिक रिमांड पर है चैतन्य
गौरतलब है कि शराब घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED ने चैतन्य बघेल को बीते 18 जुलाई को उनके जन्मदिन के दिन भिलाई स्थित निवास से गिरफ्तार किया था। उनपर आरोप है कि शराब घोटाले की रकम से चैतन्य को 16.70 करोड़ रुपए मिले हैं। तब से वह जेल में बंद हैं। इससे पहले शराब घोटाला मामले को लेकर राजधानी रायपुर में ईडी की विशेष कोर्ट में बीते शनिवार को चैतन्य बघेल की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी हुई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने उन्हें इस मामले में 15 सितंबर तक न्यायिक रिमांड पर भेज दिया। माना जा रहा है कि अगली तारीख पर ईडी इस मामले में चालान पेश कर सकती है।
जानिए क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला
छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले की जांच ईडी (Enforcement Directorate) कर रही है। ईडी ने इस मामले में एसीबी (ACB) में एफआईआर दर्ज की है, जिसमें 2,000 करोड़ रुपए से अधिक के घोटाले का जिक्र किया गया है। इस घोटाले में कई नामजद लोग शामिल हैं, जिनमें राजनेता, आबकारी विभाग के अधिकारी और कारोबारी शामिल हैं।
ईडी की जांच में पाया गया है कि तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में यह घोटाला हुआ। आरोप है कि IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर ने मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया।
घोटाले के सिलसिले में ईडी की जांच जारी है और मामले में अब तक कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और लेन-देन की जानकारी इकट्ठा की जा चुकी है।
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