Chaitra Navapada Oli 2025: जैन समाज में शुक्रवार, 4 अप्रैल 2025 से चैत्र नवपद ओली का शुभारंभ हो गया. यह नौ दिवसीय पर्व आध्यात्मिक साधना, तपस्या और आत्मशुद्धि का प्रतीक है. इस अवसर पर विभिन्न शहरों में धार्मिक अनुष्ठान और आयंबिल तप का आयोजन किया जा रहा है. नवपद ओली का समापन 12 अप्रैल को विशेष पूजा और पारणा के साथ होगा.
इस दौरान श्रद्धालु आयंबिल तप कर रहे हैं, जिसमें बिना मसाले, तेल और घी का भोजन ग्रहण किया जाता है. साथ ही, मंदिरों में नवपद स्तोत्र का पाठ और प्रवचन हो रहे हैं. समाज सेवा के अंतर्गत जरूरतमंदों को भोजन और औषधियाँ वितरित की जा रही हैं.
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विशेषताएँ और महत्व (Chaitra Navapada Oli 2025)
इस अवधि में जैन अनुयायी नौ परम पदों की आराधना करते हैं, जो इस प्रकार हैं:
- अरिहंत – जिन्होंने सभी कर्मों का नाश कर मोक्ष प्राप्त कर लिया.
- सिद्ध – वे आत्माएँ जो जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो चुकी हैं.
- आचार्य – जैन धर्म के प्रमुख गुरु, जो समाज का मार्गदर्शन करते हैं.
- उपाध्याय – वे जो धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन एवं प्रचार करते हैं.
- साधु – जो सांसारिक मोह-माया से दूर रहकर साधना करते हैं.
- सम्यक दर्शन – सच्चे धर्म की समझ और श्रद्धा.
- सम्यक ज्ञान – सही और पवित्र ज्ञान का अध्ययन.
- सम्यक चरित्र – धर्म के अनुसार आचरण करना.
- सम्यक तप – आत्मा की शुद्धि के लिए कठोर तपस्या.
यह पर्व आत्मसंयम, आस्था और सेवा का संदेश देता है, जिससे व्यक्ति आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त कर सकता है..
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