Chaitra Navratri 2025: आज चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन है. आज के दिन नवदुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है. उनका नाम दो शब्दों से मिलकर बना है, “चंद्र” (अर्थात चंद्रमा) और “घंटा” (अर्थात घंटे की आवाज). उनके मस्तक पर अर्धचंद्र सुशोभित रहता है, जो उनके नाम का प्रतीक है. देवी चंद्रघंटा भक्तों को साहस, वीरता और आत्मविश्वास प्रदान करती हैं. मां चंद्रघंटा की उपासना करने से जीवन में साहस, सौभाग्य और आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है. वे अपने भक्तों की सभी प्रकार की बाधाओं और कष्टों का नाश करती हैं.

देश के अलग-अलग स्थानों में मां चंद्रघंटा के कई मंदिर स्थित हैं. आइए जानते हैं, किन स्थानों में स्थित हैं मां के मंदिर…

कांगड़ा, हिमाचल प्रदेशः यह मंदिर उत्तर भारत में 52 शक्तिपीठों में से एक है और मां चंद्रघंटा का स्वयंभू मंदिर माना जाता है.

उज्जैन, मध्य प्रदेशः यह मंदिर महाकालेश्वर मंदिर के पास स्थित है और मां चंद्रघंटा का एक प्रसिद्ध स्थल है.

मां चंद्रघंटा मंदिर, दिल्ली: दिल्ली के करोल बाग में स्थित

वाराणसी, उत्तर प्रदेशः काशी विश्वनाथ मंदिर के निकट स्थित यह मंदिर मां चंद्रघंटा के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है.

चेन्नई, तमिलनाडुः चेन्नई के मयलापुर में स्थित यह मंदिर दक्षिण भारत में मां चंद्रघंटा की पूजा का केंद्र है.

हैदराबाद, तेलंगाना: सिकंदराबाद में स्थित यह मंदिर मां चंद्रघंटा के भक्तों के लिए एक प्रमुख स्थल है.