हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि से नववर्ष का आरंभ होता है. इसी दिन हर साल गुड़ी पड़वा का त्योहार भी मनाया जाता है. गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र का मुख्य पर्व है. इसे सभी जगह धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन लोग अपने घर के बाहर गुड़ी बांधकर उसकी पूजा करते हैं. गुड़ी को समृद्धि का सूचक माना गया है. इस दिन एक खास व्यंजन बनाने की परंपरा है, जिसे पूरन पोली कहा जाता है.

मुहूर्त और इसका महत्व

पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 21 मार्च 2023 को रात 10 बजकर 52 मिनट से आरंभ होगी और अगले दिन 22 मार्च 2023 को रात 8 बजकर 20 मिनट पर इसका समापन होगा. उदयातिथि के अनुसार गुड़ी पड़वा 22 मार्च 2023 को है.

पूजा मुहूर्त – सुबह 06.29 – सुबह 07.39 (22 मार्च 2023)

पूरन पोली के बिना गुड़ी पड़वा का पर्व अधूरा सा होता है. हिंदू नववर्ष का पहला दिन यानीगुड़ी पड़वा के दिन खासतौर पर पूरन पोली बनाने का चलन है. ये स्वीट डिश बनाने में जितनी आसान है, इसका स्वाद उतना ही लाजवाब होता है. गेहूं के आटे और मीठी चने की दाल की स्टफिंग के साथ तैयार होने वाली पूरन पोली बड़ों के साथ ब’चों को भी काफी पसंद आती है. आप इस बार गुड़ी पड़वा सेलिब्रेट करने के दौरान पूरन पोली बनाना चाहते हैं और इसे बनाने का अगर ये आपका पहला मौका है तो हम आपको इस फूड डिश को बनाने की आसान रेसिपी बताएंगे.

बता दें कि पूरन पोली मुख्य तौर पर एक महाराष्ट्रीयन डिश है और गुड़ी पड़वा पर इसे खास तौर पर बनाया जाता है. इसके अलावा अन्य अवसरों या त्यौहारों पर भी पूरन पोली बनाकर खाई जाती है. ये कम वक्त में आसानी से तैयार होने वाली फूड डिश है.

पूरन पोली बनाने के लिए सामग्री

गेहूं का आटा – 2 कप
मैदा – 1/2 कप
चना दाल – 1 कप
गुड़ – 1 कप
हल्दी – 1/2 टी स्पून
जायफल – 1/4 टी स्पून
इलायची पाउडर – 1/4 टी स्पून
तेल/घी
नमक – स्वादानुसार

पूरन पोली बनाने की विधि

महाराष्ट्रीय स्टाइल की पूरन पोली बनाने के लिए सबसे पहले चना दाल लेकर उसे साफ पानी से धोकर & घंटे के लिए भिगोकर रख दें. अब प्रेशर कुकर को लें और उसमें पानी डालकर एक बर्तन रख दें. बर्तन में भिगोई चना दाल डालकर उसमें 1/4 टी स्पून हल्दी, नमक, एक चम्मच तेल और 3 कप पानी डालकर कुकर का ढक्कन बंद कर दें. अब कुकर में 5 सीटी आने दें. इसके बाद गैस बंद कर दें.

गुड़ी पड़वा महत्व

शास्त्रों के अनुसार गुड़ी पड़वा को संसार का पहला दिन भी माना जाता है. मान्यता है कि इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी, संसार में सूर्य देव पहली बार उदित हुए थे. वहीं पौराणिक कथा के अनुसार त्रेतायुग में प्रभु श्रीराम ने इसी दिन बालि का वध करके लोगों को उसके आतंक से छुटकारा दिलाया था. इस दिन को लोग विजय दिवस के रूप में मनाते हैं. यही वजह है कि इस खुशी के मौके पर घरों के बाहर रंगोली बनाई हैं और विजय पताला लहराकर जश्न मनया जाता है.