बिलासपुर-  महिला एवं बाल विकास विभाग की विशेष पहल पर बच्चों को घर पर ही डिजिटल माध्यम से शिक्षा देने और तनाव से दूर रखने के लियें चकमक अभियानचलाया जा रहा है ।इस अभियान का उद्देश्य छोटे बच्चों को शिक्षा के साथ साथ स्वास्थ्य और प्रकृति पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाना है। महिला एवं बाल विकास विभाग के कमिश्नर जन्मेजय महोबे ने बताया कि चकमक अभियान लॉक डाउन में बच्चों को परिवार के साथ व्यस्त रहने और सक्रमण से बचाने का प्रयास है ।

 

जिला परियोजना अधिकारी,बिलासपुर नेहा राठिया ने बताया जिले के 2763 आंगनवाड़ी केंद्रों पर 1 से 5 वर्ष के बच्चों के लिए चकमक अभियान के तहत सोमवार से शुक्रवार तक का सिलेबस राज्य द्वारा तय किया गया है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा सोमवार को ड्रॉईंग स्केच या पेंट करते हैं जिसमें सूर्योदय की इंद्रधनुषिय निराली छटा दिखानी होती है जो  प्रकृति से बच्चों को जोडती है। इसके अलावा मिट्टी से खिलौने बनाना, बच्चों को छत्तीसगढ़ी बाल गीत तथा अन्य गतिविधियां भी करायी जा रही है। बच्चों को यह गतिविधियाँ आकर्षित कर रही है । छत्तीसगढ़ी में जागरूकता के साथ साथ साफ-सफाई और कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव की जानकारी भी दी जा रही है ।

इस अभियान के तहत कागज पर अंगूठे से छापा लगाकर चित्र बनाना जिसमें पत्ते से आकृति बनाना और रंगोली बनाने जैसी गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है । चकमक अभियान के माध्यम से अपनी और दूसरों की रक्षा करने के बारे में जैसे मास्क पहनना,और शारीरिक दूरी बना कर रखना आदि गतिविधि के माध्य्म से बताया जा रहा है । चित्र बनाओ रंग भरो करवाया जाता है और इस दिन मां-पापा, दादा-दादी भैया-दीदी के साथ बाल गीत गाने का कार्यक्रम आयोजित होता हैं। माता-पिता के साथ पेड़ पौधों की फोटो खींचकर अपनी आंगनवाड़ी दीदी को भेजने होते हैं और वहीं पत्तों से आकृति बनाना, पेपर काटकर आकार बनाना और उसमें रंग भरने के साथ ही ‘क’ शब्द से शुरू होने वाली वस्तुएं इकट्ठा करनी होती है। अपना  पसंदीदा गाना गाना या डांस करना, घर के बड़ों से कहानी सुनना और बिंदों को जोड़ कर चित्र बनाना होता है|

महिला एवं बाल विकास विभाग यह चकमक कार्यक्रम यूनिसेफ (unicef) एवं मीडिया कलेक्टिव फ़ॉर चाइल्ड राइट्स के साथ मिलकर चला रहा है।