चंडीगढ़. चंडीगढ़ में लापरवाही के कारण मौत के मामलों में आम नागरिकों के लिए सजा को बढ़ाकर 5 साल तक कर दिया गया है, जबकि रजिस्टर्ड डॉक्टरों के लिए यह सजा 2 साल तक सीमित रहेगी। यह जानकारी डिप्टी कमिश्नर सह जिला कलेक्टर नितिन यादव ने जिला पंजीकरण प्राधिकरण की बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी। बैठक में स्वास्थ्य सेवा निदेशालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, चंडीगढ़ नगर निगम, पुलिस और भारतीय चिकित्सा संघ के प्रतिनिधि शामिल हुए।


बैठक में 13 मार्च 2023 को हुई पिछली बैठक की कार्यवाही पर चर्चा हुई और अब तक की प्रगति साझा की गई। इसमें विशेष रूप से निजी अस्पतालों द्वारा मरीजों के अधिकारों के चार्टर को अनिवार्य रूप से प्रदर्शित करने का मुद्दा शामिल था।


बैठक में बताया गया कि सेक्टर-16 के सरकारी मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट को जुर्माने का आकलन करने के लिए जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। यह कदम चिकित्सकीय लापरवाही या अन्य शिकायतों की निष्पक्ष जांच के लिए उठाया गया है।


झोलाछाप डॉक्टरों पर कसेगा शिकंजा


बैठक में टेंट या अस्थायी ढांचों में काम करने वाले झोलाछाप डॉक्टरों का मुद्दा भी उठा। डीसी ने अधिकारियों को ऐसी गतिविधियों की गहन जांच करने और आवश्यकतानुसार सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए। सितंबर 2024 तक चंडीगढ़ में कुल 599 क्लीनिकल प्रतिष्ठान पंजीकृत हो चुके हैं। अप्रैल 2023 से जुलाई 2024 के बीच 31 प्रयोगशालाओं का निरीक्षण किया गया, जिनमें से दो को गंभीर खामियों के कारण रद्द कर दिया गया। इसके अलावा, 22 मामलों में नियमों के उल्लंघन के लिए जुर्माना भी लगाया गया।


नियम तोड़े तो लगेगा भारी जुर्माना


डीसी नितिन यादव ने निर्देश दिए कि सभी क्लीनिकों और नर्सिंग होम्स को अपने पंजीकरण काउंटरों पर सेवा शुल्क सूची, नागरिक चार्टर, और शिकायत अधिकारी का संपर्क नंबर प्रमुखता से प्रदर्शित करना होगा। इन नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाया जाएगा।
बैठक में आयुष डॉक्टरों के पंजीकरण पर भी चर्चा हुई। यह स्पष्ट किया गया कि आयुष डॉक्टर केवल आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में ही पंजीकृत हो सकते हैं। एलोपैथिक सेवाएं प्रदान करने वाले आयुष क्लीनिक इस अधिनियम के तहत पंजीकृत नहीं होंगे।