ड्रॉप फुट के मरीजों की चाल को आसान और बेहतर बनाने के लिए चंडीगढ़ पीजीआई के विशेषज्ञ ने पैक के साथ मिलकर विशेष प्रकार का एंकल फुट आर्थोसिस तैयार किया है। इस उपकरण की खास बात यह है कि इससे मरीज को थकान नहीं होगी वहीं उसकी बिगड़ी चाल में भी तेजी से सुधार होगा।

पीजीआई के फिजिकल एंड रिहैबिलीटेशन मेडिसिन की डॉ. सौम्या ने पैक के मैकेनिकल इंजीनियरिंग के शोध छात्र के साथ मिलकर कार्बन फाइबर एंकल फुट आर्थोसिस बनाया है। वहीं इसका मरीजों पर सफल परीक्षण कर यह साबित किया है कि ये पहले के प्रचलित उपकरण की तुलना में ज्यादा कारगर और किफायती है। इस शोध को एल्जेवियर जरनल में प्रकाशित किया गया है।

Chandigarh PGI

डॉ. सौम्या ने बताया कि ड्रॉप फुट के मरीजों के लिए प्लास्टिक, लकड़ी और मेटल के एंकल फुट आर्थोसिस तैयार किए जाते हैं। ये मरीज को चलने में बाहरी सपोर्ट देता है। लेकिन लकड़ी और प्लास्टिक के एंकल फुट आर्थोसिस से मरीज को ज्यादा लाभ नहीं होता। वह जल्दी थक जाता है, उसकी चाल में बहुत धीमी गति से सुधार होता है। जबकि कार्बन फाइबर के एंकल फुट आर्थोसिस में पुनर्वास तेजी से होता है। लेकिन कार्बन फाइबल अन्य की तुलना में महंगा होता है। जिससे ज्यादातर मरीज उसका लाभ नहीं उठा पाते।

कार्बन और प्लास्टिक को मिलाकर किया तैयार

परम्परागत एंकल फुट आर्थोसिस में बदलाव करते हुए उसे मरीज की सहूलियत के अनुसार तैयार करने की योजना बनाई गई। डॉ. सौम्या ने बताया कि कार्बन का कम से कम उपयोग कर मरीज को ज्यादा राहत देने के लिए प्लास्टिक का भी उपयोग किया। बेस में प्लास्टिक का उपयोग कर मुख्य प्वॉइंट पर कार्बन फाइबर का स्टक बनाया गया। इससे मरीज के चलने के दौरान उसकी उर्जा उस कार्बन स्टक में संचित होगी, जो मरीज को तेजी से थकने से बचाएगी। वहीं मुख्य प्वॉइंट पर लगाए गए कार्बन से मरीज को बेहतर सपोर्ट और तेज रिकवरी भी मिली। इस नोबल डिजाइन का प्रयोग 12 मरीजों पर किया। उन मरीजों के पहले के गेट रिपोर्ट और तैयार किए गए एंकल फुट आर्थोसिस के प्रयोग के बाद आए बदलाव को मापा गया। उसमें काफी सकारात्मक परिणाम सामने आए।

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