Chandrayaan-3 Moon Mission: 2019 में चंद्रयान-2 की चंद्रमा की सतह पर हार्ड लैंडिंग हुई थी. इसके बाद से ही चंद्रयान-3 पर काम शुरू हो गया था. जब देश कोविड-19 महामारी से जूझ रहा था, तब भी हमारे वैज्ञानिक इसे बनाने में लगे हुए थे. इसरो चेयरमैन एस सोमनाथ (ISRO Chairman S Somnath) ने चंद्रयान-3 का बजट बताया है. यह मिशन 615 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है. इस पर लगभग एक हजार वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने काम किया.
अगस्त में उनकी मेहनत रंग लाई और भारत चांद पर पहुंच गया. चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग की. इसके बाद भारत दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने वाला दुनिया का एकमात्र देश बन गया. आइए जानते हैं चंद्रयान-3 को तैयार करने में किन वैज्ञानिकों ने अहम भूमिका निभाई है ?
S Somnath, ISRO Chairman
एस सोमनाथ एक एयरोस्पेस इंजीनियर हैं. उन्होंने व्हीकल मार्क-III रॉकेट को डिजाइन करने में मदद की. इसी बाहुबली रॉकेट के जरिए चंद्रयान-3 को अंतरिक्ष में भेजा गया था. उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु से पढ़ाई की. वे संस्कृत बोल सकते हैं. उन्होंने एक संस्कृत फिल्म यानम में भी काम किया है. उनके नाम सोमनाथ का अर्थ है चंद्रमा का स्वामी.
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक Unnikrishnan Nair S
उन्नीकृष्णन एक एयरोस्पेस इंजीनियर हैं. वह उस मिशन का भी नेतृत्व कर रहे हैं, जिसमें भारत इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने की कोशिश कर रहा है. वह भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु के पूर्व छात्र रहे हैं. वह मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र के पहले निदेशक थे. गगनयान मिशन में भी उनका योगदान सराहनीय रहा है. उन्नीकृष्णन के नेतृत्व में लॉन्च व्हीकल मार्क 3 ने 100 प्रतिशत सफलता दर्ज की है.
चंद्रयान-3 मिशन के परियोजना निदेशक वीरमुथुवेल पी
वीरमुथुवेल पी चंद्रयान-3 का हिस्सा है. वह भारत के दूसरे चंद्र मिशन से भी जुड़े थे. पिछली बार लैंडर विक्रम लैंडिंग करने में असफल रहा था. उन्होंने उस वक्त की गलतियों को सुधारकर चंद्रयान-3 की तकनीक को मजबूत किया है. उनके पास चेन्नई से मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी की डिग्री है. वह मंगलयान मिशन से भी जुड़े थे.
चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को लॉन्च किया गया था
चंद्रयान-3 मिशन 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था. 5 अगस्त को चंद्रयान-3 चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया गया था. यह भारत का तीसरा चंद्र मिशन है. दूसरा मिशन चंद्रयान-2 2019 में विफल रहा. लैंडर की हार्ड लैंडिंग हुई थी.
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