नई दिल्ली। चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण इस साल न होकर वर्ष 2021 की शुरुआत में होगा. इसके अलावा अबकी बार चंद्रयान-2 की तरह आर्बिटर नहीं होगा, केवल रोवर और लेंडर होंगे. इस संबंध में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने रविवार को जानकारी दी.
बीते साल सितंबर महीने में चंद्रमा में उतरने के दौरान नियंत्रण टूटने से रोवर और लैंडर बेकाबू होकर गिर गए थे, जिनसे बाद में तमाम प्रयासों के बाद संपर्क कायम नहीं हो पाया था. वहीं चंद्रयान-2 के आर्बिटर बखूबी काम कर रहे हैं, और चंद्रमा को लेकर नई-नई जानकारी दे रहे हैं. इस हादसे के बाद इसरो ने चंद्रयान-3 की योजना पर काम शुरू कर दिया था, जिसे इस साल के अंत तक प्रक्षेपित किए जाने की योजना थी, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से काम की गति धीमी हुई है, जिसकी वजह से अब चंद्रयान-3 को अगले साल की पहली छमाही में लांच किए जाने की योजना होगा.
अंतरिक्ष विभाग में केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि चंद्रयान-1 के जरिए इसरो की चंद्रमा तक पहुंचने का पहला प्रयास आज भी अच्छे परिणाम दे रहा है. चंद्रयान-1 से मिली चंद्रमा की तस्वीर बताती है कि चंद्रमा के ध्रुवों मौजूद लौह तत्वों में जंग लग रही है. मंत्री ने बताया कि यह माना जाता है कि चंद्रमा की सतह लौह तत्वों से भरपूर है, लेकिन वहां पानी और हवा की मौजूदगी नहीं है, जो जंग लगने के लिए जरूरी है. वहीं नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार, इससे ऐसा प्रतीत होता है कि पृथ्वी का वायुमंडल चंद्रमा को भी सुरक्षा दे रहा है. उनके अनुसार, चंद्रयान-1 के आंकड़े बताते हैं कि चंद्रमा के ध्रुवों पर पानी हो सकता है, जिसकी वैज्ञानिक पड़ताल में लगे हुए हैं.
चंद्रयान-3 के अलावा भारत के प्रथम मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियान गगनयान के लिए इसरो तैयारी में जुटा हुआ है. इस अभियान के लिए प्रशिक्षण और अन्य तैयारी अलग-अलग चरणों में अलग-अलग स्थानों में जारी है. मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि कोविड-19 की वजह से गगनयान अभियान को कुछ धक्का लगा है, लेकिन 2020 में उड़ान भरने के लिहाज से तैयारी जारी है.