नई दिल्ली। आज का दिन या कहें चंद्र दिन हम सब भारतीयों के लिए बहुत खास है, क्योंकि चंद्रमा पर नए दिन के शुरू होने के बाद इसरो ‘चंद्रयान-3’ के सौर ऊर्जा से संचालित लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ के साथ संपर्क स्थापित करेगा. यदि ये दोनों फिर से एक्टिव हो जाते हैं तो न केवल भारत के लिए बड़ी कामयाबी होगी. लैंडर और रोवर दोनों इस महीने की शुरुआत में क्रमशः 2 और 4 सितंबर को स्लीप मोड में चले गए थे.

एक चंद्ररात (14 पृथ्वी दिन) के बीतने के बाद आज फिर से चंद्र दिन शुरू हो गया है. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सूर्य की रोशनी फिर से आने और उनके सौर पैनल के जल्द ही चार्ज होने की उम्मीद है. इसरो अब लैंडर और रोवर के साथ फिर से संपर्क स्थापित करने और इन्हें सक्रिय करने का प्रयास कर रहा है. इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश देसाई ने बताया था कि बीस सितंबर से चंद्रमा पर सूर्योदय हो रहा है, और उम्मीद है कि 22 सितंबर तक सौर पैनल और अन्य उपकरण पूरी तरह से चार्ज हो जाएंगे. इसके बाद हम लैंडर और रोवर दोनों को सक्रिय करने की कोशिश करेंगे.

किस्मत अच्छी रही तो…

नीलेश देसाई ने कहा कि हम 22 सितंबर से होने वाली गतिविधि का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. यदि हमारी किस्मत अच्छी रही, तो हमारे लैंडर और रोवर दोनों सक्रिय हो जाएंगे. इससे हमें कुछ और प्रायोगिक डेटा मिलेंगे, जो चंद्रमा की सतह की आगे की जांच के लिए हमारे लिए उपयोगी होंगे. चंद्रमा पर उतरने के बाद, लैंडर और रोवर और पेलोड ने एक के बाद एक प्रयोग किए, ताकि उन्हें 14 पृथ्वी दिन (एक चंद्र दिवस) के भीतर पूरा किया जा सके. चंद्रमा पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है.

भारत ने रचा था इतिहास

23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 के ‘विक्रम’ लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग के साथ भारत ने इतिहास रच दिया था. भारत चंद्रमा की सतह पर पहुंचने वाला चौथा देश और इसके दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया है. इसके बाद इसरो ने 4 सितंबर को कहा था कि सौर ऊर्जा खत्म हो जाने और बैटरी से भी ऊर्जा मिलना बंद हो जाने पर विक्रम, प्रज्ञान के पास ही निष्क्रिय अवस्था में चला जाएगा. उनके 22 सितंबर, 2023 के आसपास सक्रिय होने की उम्मीद है.