धर्मेंद्र यादव, निवाड़ी। मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले के ओरछा स्थित रामराजा सरकार मंदिर में 500 वर्षों से भगवान को राजा के तौर पर सलामी देने की परंपरा आज भी जारी है। भगवान रामराजा को चारों पहर मध्य प्रदेश पुलिस के जवान सशस्त्र सलामी देते रहे हैं। लेकिन एक आदेश के बाद से सलामी की परंपरा में पुलिस ने कुछ बदलाव किए हैं।

दरअसल, अब सलामी देने वाले जवान की बंदूक के आगे लगे बेनेट यानी चाकू को हटा दिया गया है। पहले रामराजा सरकार को जिन बंदूकों से सलामी दी जाती थी उन पर आगे बेनेट लगा होता था, लेकिन सुरक्षा कारणों के चलते इन बेनेट यानी चाकू को बंदूक से हटा दिया गया है।

500 वर्ष पुरानी है परंपरा
ओरछा तहसीलदार व मंदिर व्यवस्थापक सुमित गुर्जर ने बताया कि, मंदिर में राम राजा सरकार को सलामी देने की परंपरा 500 वर्ष पुरानी है। यहां संत्री द्वारा भगवान को सलामी दी जाती है। जो की दिनभर मंदिर में उपस्थित रहता है। एल उन्होंने ऐसा करने के पीछे मुख्य कारण सुरक्षा बताया है, मंदिर में बढ़ती भीड़ और कहीं संत्री किसी वजह से अपना आपा खोकर इसका गलत उपयोग ना कर लें, इसलिए एहतियातन निवाड़ी पुलिस अधीक्षक ने इस व्यवस्था में बदलाव किया है और बंदूक के आगे से बेनेट को हटवाया है।

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एहतियातन व्यवस्था में सुधार
वहीं विभाग के ही कुछ कर्मचारियों का कहना है कि कुछ दिन पहले एक वरिष्ठ अफसर आए थे उन्होंने बेनेट के साथ सलामी को देखकर एहतियातन व्यवस्था में सुधार के लिए कहा था। ताकि परंपरा भी बनी रहे और किसी प्रकार की सुरक्षा में चूक भी न हो। इधर स्थानीय निवासी अखिलेश नारायण समेले का कहना है कि भगवान को बंदूक में बेनेट लगाकर सलामी देने की परंपरा 500 वर्ष पुरानी है। आजतक इतने वर्षों में किसी भी दर्शनार्थी को बेनेट से चोट नहीं आई और न ही कोई घटना हुई है। उन्होंने कहा कि ये निर्णय गलत है। परंपरा का खिलाफ है इसको वापस लेना चाहिए।

कुछ दिनों पहले ही बढ़ाए गए थे जवान

भगवान श्री राम राजा सरकार को पहले केवल एक पुलिस जवान गार्ड ऑफ ऑनर दिया करता था। जवान की बंदूक में बेनेट लगा रहता था और वह पूरे समय जब तक मंदिर खुलता है तब तक मंदिर के बाहर पहरा देता था। कुछ दिन पूर्व कलेक्टर अरुण विश्वकर्मा ने परंपरा को वृहद रूप देने के लिए 1-4 की गार्ड से इस परंपरा का निर्वहन करवाना शुरू किया। जिसमें बीच मे खड़े एक गार्ड की बंदूक में बेनेट रहती थी और शेष अन्य बिना बेनेट के सलामी देते थे। और दिन भर पहरे के लिए एक गार्ड तैनात रहता था।

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सलामी का इतिहास
राम राजा सरकार को सलामी देने का इतिहास कुछ इस तरह है कि, बुंदेली शासकों की नगरी रही ओरछा का रामराजा सरकार मंदिर देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां पर रामराजा को दिन में चार बार सशस्त्र सलामी दी जाती है। यह परंपरा सैकड़ों साल पुरानी है और इसे राजा मधुकर शाह प्रथम ने शुरू की थी।

इस समय दी जाती है भगवान को सशस्त्र सलामी
रानी कुंवर गणेश संवत 1631 में भगवान श्रीराम को ओरछा लाई थी। उसके बाद राजा मधुकर शाह प्रथम ने भगवान श्रीराम को ओरछा का राजा घोषित कर दिया था। वे स्वयं कार्यकारी नरेश के तौर पर ओरछा के शासक रहे। राजा मधुकर शाह ने सबसे पहले भगवान श्रीराम को सशस्त्र सलामी की परंपरा शुरू की थी। यहां दिन में चार बार आरती भी होती है। इनमें सुबह आठ बजे, दोपहर में साढ़े 12 बजे राजभोग आरती, रात 8 बजे शाम की आरती और रात साढ़े दस बजे आरती होती है। इसी समय भगवान को सशस्त्र सलामी दी जाती है।

कब से चली आ रही है परंपरा
राजा मधुकर शाह के कार्यकाल के बाद से आजादी तक राज परिवार की ओर से यहां तलवारों से गार्ड ऑफ ऑनर देने की परंपरा रही। विशेष आयोजन जैसे रामनवमी, सावन तीज, जल झूलनी एकादशी डोल ग्यारस, होली और विवाह पंचमी पर यहां तोप भी चलती थी। आजादी के बाद 1947 में ओरछा रियासत के अंतिम शासक राजा वीर सिंह जूदेव द्वितीय ने रियासत का उत्तरदायित्व सरकार को सौंपा। तब से लेकर अब तक बंदूक के जरिए जवान इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं।

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