बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की मतगणना के रुझानों ने चनपटिया सीट पर बेहद दिलचस्प मुकाबले की तस्वीर पेश की है। जहां एक ओर बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर जारी है, वहीं दूसरी ओर जन सुराज पार्टी के चर्चित चेहरे मनीष कश्यप के लिए यह चुनाव बेहद निराशाजनक साबित होता दिख रहा है। शुरुआती 9 राउंड की गिनती के बाद यह साफ हो गया है कि जन सुराज पार्टी इस सीट पर कहीं भी मुकाबले में नहीं है।
बीजेपी बनाए हुए है लगातार बढ़त
चनपटिया से बीजेपी उम्मीदवार उमाकांत सिंह ने शुरुआत से ही लीड बनाकर रखी है। 9वें राउंड तक उन्हें 33,621 वोट मिले हैं और वे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ते नजर आ रहे हैं। लगातार बनी बढ़त यह दर्शाती है कि इस सीट पर बीजेपी की मजबूत पकड़ बरकरार है। उमाकांत सिंह का यह प्रदर्शन पार्टी के लिए राहत लेकर आया है, खासकर तब जब पूरी राज्य राजनीति में कई सीटों पर करीबी मुकाबले देखने को मिल रहे हैं।
कांग्रेस दे रही कड़ी टक्कर
बीजेपी के बाद सबसे मजबूत चुनौती कांग्रेस के उम्मीदवार अभिषेक रंजन दे रहे हैं, जिन्हें अब तक 31,886 वोट मिले हैं। दोनों उम्मीदवारों के बीच वोटों का अंतर ज्यादा नहीं है, जिससे यह रेस और भी रोचक हो गई है। जैसे-जैसे राउंड आगे बढ़ेंगे, मुकाबला और तेज होने की उम्मीद है। कांग्रेस इस सीट पर बीजेपी को कड़ी टक्कर देती दिख रही है।

जन सुराज पार्टी को लगा बड़ा झटका
जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी त्रिपुरारी कुमार तिवारी उर्फ मनीष कश्यप के लिए यह चुनाव बेहद निराशाजनक रहा है। बड़े जनसमर्थन और लोकप्रियता के बावजूद वे सिर्फ 13,827 वोटों पर सिमटते दिख रहे हैं। मनीष कश्यप फिलहाल तीसरे स्थान पर हैं, जिससे उनके समर्थकों में बड़ी मायूसी है। यह प्रदर्शन जन सुराज पार्टी के लिए राज्य भर में बढ़ती चुनौतियों को भी उजागर करता है।
अन्य उम्मीदवार हाशिये पर
निर्दलीय उम्मीदवार मोहम्मद सोएब को 756 वोट, जबकि लो.ज.स. पार्टी के बिपिन तिवारी को सिर्फ 749 वोट मिले हैं। हैरानी की बात यह है कि NOTA को 979 वोट मिले हैं, जो कई छोटे उम्मीदवारों से अधिक हैं।
पूरे बिहार में जन सुराज का कमजोर प्रदर्शन
चनापटिया ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य से मिले रुझानों में जन सुराज पार्टी को कहीं भी बढ़त मिलती नहीं दिख रही है। पार्टी की सबसे बड़ी उम्मीद माने जाने वाले मनीष कश्यप का भी प्रदर्शन उम्मीदों के उलट कमजोर रहा है। इससे यह संकेत मिलता है कि पार्टी को अपनी रणनीति और संगठनात्मक ढांचे पर दोबारा काम करने की जरूरत है। जैसे-जैसे मतगणना आगे बढ़ेगी, चनपटिया का मुकाबला रोमांचक मोड़ ले सकता है, लेकिन फिलहाल बीजेपी और कांग्रेस इस लड़ाई में सबसे आगे बने हुए हैं।
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