रायपुर. शिवपुराण के अनुसार “ॐ नमः शिवाय” एक ऐसा मंत्र जिसके नाम मात्रा से सभी बाधाएं खत्म हो जाती है. इसकी महिमा हमारे पुराणों में बताई गयी है. प्रणव मंत्र “ॐ” के साथ “नमः शिवाय”(पंचाक्षर मंत्र) का मेल करने से षड्क्षर मंत्र का निर्माण होता है. इसलिए इसे षड्क्षर मंत्र के नाम से जाना जाता है.

कैसे करें ॐ का जाप

ॐ मंत्र का उच्चारण करने के लिए सबसे पहले साफ-सुथरा और शांत वातावरण चुनें. फिर सुखासन, पद्मासन में बैठ जाएं. बैठते वक्त मेरुदंड सीधा रखें और गर्दन सीधी रखें. अब आंखें बंद कर लें और दोनों हाथों की तर्जनी अंगुली और अंगूठे को आपस में मिलाएं और ज्ञान मुद्रा बनाकर दोनों घुटने में रखें. इसके बाद ॐ मंत्र का जाप करें. ॐ का जाप करते वक्त अ उ म तीनों का उच्चारण बराबर समय पर करें.

यदि आप अपने आसपास के वातावरण में एक सुरक्षा कवच बनाना चाहते हैं, तो ओम का उच्चारण तीव्र स्वर में करें ताकि नकारात्मक ऊर्जा का नाश हो और आसपास के जीवाणु और कीटाणु भी नष्ट हो जाएं. ऊँ का उच्चारण आप 5,7,10,21 बार कर सकते हैं.

ओम के उच्चारण से शारीरिक लाभ

अनेक बार ओम का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव-रहित हो जाता है. यदि आपको घबराहट या अधीरता होती है तो ओम के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं. यह शरीर के विषैले तत्त्वों को दूर करता है, यानी तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है.

इससे शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है. श्रवण शक्ति तेज होती है. नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है. रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसको करने से निश्चित नींद आएगी. कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मजबूती आती है. ओम के पहले शब्द का उच्चारण करने से कंपन पैदा होती है. इन कंपन से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और इसकी क्षमता बढ़ जाती है.