नई दिल्ली। दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने फरवरी 2020 में हुए दंगों के मामले में 10 लोगों के खिलाफ आरोप तय किया है. कोर्ट ने बेहद सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि जिस तरह से वहां हालात बनाए गए, वो हिंदू समुदाय के लोगों को डराकर उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर करने, लूटपाट और उनकी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने और आगजनी करने के इरादे से जुटे थे. पुलिस के मुताबिक, इन 10 आरोपियों ने हिंसा और लूट का सहारा लिया और 25 फरवरी 2020 को भागीरथी विहार इलाके में हिंदू समुदाय के लोगों की संपत्तियों में आग लगा दी.
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कड़कड़डूमा कोर्ट ने जिन 10 आरोपियों पर आरोप तय किए हैं, उनमें शाहनवाज, मो. शोएब, शाहरुख, राशिद, आजाद, अशरफ अली, परवेज, मोहम्मद फैसल, राशिद उर्फ मोनू और मोहम्मद ताहिर हैं. अब आरोपियों के खिलाफ केस चलाया जाएगा. इनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 436, 452, 454, 392, 427 और 149 के तहत आरोप तय किये गए हैं. बता दें कि फरवरी 2020 में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध-प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी. उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे हो गए थे. इन दंगों में 53 लोगों की मौत हो गई थी और कई घायल हुए थे.
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प्राथमिकी जगदीश प्रसाद नाम के शख्स की शिकायत पर दर्ज की गई थी, जिसमें कहा गया था कि दंगाइयों ने उनके बेटे की वाहन पुर्जों की दुकान को जला दिया था. प्रसाद ने यह दावा भी किया था कि भीड़ ने दुकान में पेट्रोल बम फेंका, जिससे वह जल गई. प्रसाद ने कहा कि वह अपने दो भाइयों के साथ पीछे के गेट से भागकर जान बचाने में सफल रहा.
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