पुरी. जगन्नाथ पुरी की रथयात्रा विश्वभर में सुप्रसिद्ध है. इस साल होने वाली रथयात्रा उत्सव के लिए रथ निर्माण का कार्य शुरू हो गया है. अक्षय तृतीया के अवसर पर मंगलवार को औपचारिक रूप से रथ यात्रा 2022 के लिए त्रिमूर्ति पुरी के तीन रथों के निर्माण का काम शुरू हो गया.

रथ निर्माण की शुरुआत को चिह्नित करने के लिए भव्य सड़क पर रथ खाला (रथ शाला) में एक विशेष पूजा की गई. इसके साथ ही भगवान जगन्नाथ की प्रसिद्ध चंदन यात्रा भी आज से शुरू हो गई.

लकड़ियों का किया गया पूजन

परंपरा के अनुसार, दोपहर में ‘अज्ञामाला बिजे’ अनुष्ठान किया गया. जिसमें रथखाला में औपचारिक रूप से भगवान के विग्रह (मूर्ति) की एक माला लाई जाती है. जिसे आज्ञा माला कहा जाता है. रथ शाला में तीन ‘धौरा’ यानी लकड़ी के लट्ठे रखे जाते हैं. जिनकी पूजा की जाती है. इसके साथ ही रथ निर्माण की प्रक्रिया शुरू होती है. इस मौके पर पुरी कलेक्टर समर्थ वर्मा और पुलिस अधीक्षक विशाल सिंह मौजूद थे. रथ अनुकुला के निष्पादन के लिए मौके पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी.

चंदन यात्रा

इसे भी पढ़ें : धर्म के प्रति सम्मान की मिसालः परशुराम जयंती पर ब्राम्हण समाज ने निकाली रैली, मुस्लिम समाज ने फूल बरसाकर किया इस्तकबाल, दिए एक-दूसरे को शुभकामनाएं

तीन रथ के नाम

भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के लिए तीन अलग-अलग रथ तैयार किए जाते हैं. जिसमें भगवान जगन्नाथ के रथ को नंदीघोष के नाम से जाना जाता है, देवी सुभद्रा के रथ का नाम दर्पदलन है. इसे देवदलन भी कहा जाता है. वहीं बलभद्र जी के रथ को तालध्वज के नाम से जाना जाता है.

डेढ-दो महीने में तैयार होता है रथ

इन रथों का निर्माण मंदिर से कुछ ही मीटर की दूरी में स्थित रथखला (रथ शाल) में बनाया जाता है. इन रथों का निर्माण पीढ़ी से चले आ रहे बढ़ई करते हैं. वो भी पारंपरिक औजारों से. रथ निर्माण का काम करीब डेढ़ से दो महीने में पूरा हो जाता है. जिसके बाद तीनों भगवान रथारूढ़ होकर अपने भक्तों को दर्शन देने अपने श्री मंदिर से बाहर निकलते हैं.