शशिकांत डिक्सेना, कटघोरा। आदिवासी बाहुल्य पोड़ी उपरोड़ा के अंतर्गत आने वाले कोनकोना पंचायत का एक 9 वर्षीय बालक अजीब बीमारी से घिरा हुआ है. एक वर्ष के दौरान उसकी चिकित्सा पर लगभग 4 लाख रुपए खर्च हो गए. गहनों को गिरवी रखना पड़ गया फिर भी नतीजे ठीक नहीं आ सके. अब रायपुर के डॉक्टर ने परिजनों को सलाह दी है कि प्रयागराज ले जाकर इलाज करवाया जाए. परिवार ने प्रदेश सरकार से आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने की मांग की है.

पोंडी उपरोड़ा ब्लॉक के ग्राम पंचायत कोनकोना में रहने वाले जय कुमार के पास सीमित खेतीहर जमीन है, जिसमें दो सीजन में खेती करने के साथ वह परिवार का भरण पोषण करता है. बताया गया कि 9 वर्षीय पुत्र को तीन वर्ष पहले नजदीक के एक निजी स्कूल में भर्ती कराया गया था. पढ़ाई में बेहतर होने के कारण अंग्रेजी माध्यम वाले स्कूल का चयन किया गया.

बालक मुश्किल से 6 महीने ही स्कूल जा सका और उसके बाद अज्ञात कारणों से उसे चक्कर आने शुरू हो गए. रखी हुई चीजों को भूलने का सिलसिला शुरू हो गया. इसके बाद बेहोशी की शिकायत भी पेश आई. परिजनों ने इस पर ध्यान दिया और एक महीने तक कोरबा के दो बड़े निजी अस्पताल में चिकित्सा कराई. इसी में अच्छा खासा बिल तैयार हो गया. सुधार नहीं होने पर यहां से बच्चे को रायपुर ले जाने की सलाह दी गई. मेडिकल कॉलेज हास्पिटल में उपचार कराए जाने पर डॉक्टर ने सब कुछ नार्मल बताया लेकिन रीड़ की हड्डी से जुड़ी समस्या को लेकर अगले उपचार की सलाह दी. इसमें लाखों का खर्च होने की बात कही गई जिस पर परिवार कुछ नहीं कर सका.

जय कुमार ने बताया कि इस समय तक उपचार के लिए घर की जमा पूंजी खर्च करनी पड़ी और पत्नी के गहने भी गिरवी रखने पड़े. वह चाहता है कि सरकारी मदद से बच्चे का उपचार हो और वह ठीक हो. ग्रामीण ने विश्वास जताया कि कई मामलों में सरकार लाखों-करोड़ों की सहायता अभावग्रस्त लोगों को उपलब्ध करा रही है, इसलिए कोरबा जिले से जुड़े इस मामले में भी सरकार संवेदनशील रूख दिखाते हुए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराएगी.

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