पुरी : रथयात्रा पूरी करने के बाद चतुर्धाममूर्ति मंगलवार को नीलाद्रि लौट आएंगी। मंदिर के रत्नवेदी में महाप्रभु श्रीबलभद्र, प्रभु श्रीजगन्नाथ, देवी सुभद्रा और श्री सुदर्शन अनुष्ठान करेंगे।
नीलाद्रि बिजे के लिए चतुर्धाममूर्ति की शोभायात्रा शाम 4 बजे शुरू होगी और रात 10 बजे समाप्त होगी। शोभायात्रा से पहले रथों पर संध्या आरती, संध्या धूप और चारमाल बांध ने की अनुष्ठान किए जाएंगे।
सभी अनुष्ठान पूरे होने के बाद देवता अपने रथों से सिंहद्वार के माध्यम से मंदिर में प्रवेश करेंगे। सबसे पहले मदन मोहन और रामकृष्ण की प्रतिमाओं को ले जाया जाएगा, फिर श्री सुदर्शन, प्रभु श्रीबलभद्र, देवी मसुभद्रा और प्रभु श्रीजगन्नाथ मंदिर में आगमन करेंगे।
पालिया सेवकों द्वारा रत्न सिंहासन की सफाई की जाएगी। इसके बाद देवताओं को पुष्पांजलि अर्पित की जाएगी। नीलाद्रि विजे के अनुष्ठानों में महास्नान, रोश होम, मैलम, चंदन लग्गी, सूर्य पूजा, द्वारपाल पूजा, बड़ा सिंघार बेश और रात पहड आदि शामिल होंगे। इस अवसर पर एक अनूठी परंपरा यह है कि भगवान जगन्नाथ देवी महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए रसगोला चढ़ाते हैं। इसीलिए आज के दिन रसगोला दिवस के नाम पे भी परिचित है।

परंपरा के अनुसार, देवी महालक्ष्मी भगवान जगन्नाथ को मंदिर में प्रवेश करने से रोकती हैं। क्योंकि देवी महालक्ष्मी उन्हें अपने साथ गुंडिचा मंदिर नहीं ले जाने पर उनसे नाराज हो जाती हैं। उन्हें प्रसन्न करने के लिए भगवान जगन्नाथ उन्हें रस गोला चढ़ाते हैं। इस अनुष्ठान के बाद, भगवान जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करते हैं और रत्न वेदी पर रहते हैं। मंदिर प्रशासन ने इस पवित्र आयोजन के लिए व्यापक व्यवस्था की है।
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