Chaurchan Puja 2025: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर मनाया जाने वाला चौरचन पूजा मिथिला का एक प्रमुख पर्व है. इसे चौठचन्द्र भी कहा जाता है. आज 26 अगस्त को पूरे मिथिला क्षेत्र में यह परंपरा धूमधाम से निभाई जा रही है. मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से जीवन की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और व्यक्ति मिथ्या कलंक से मुक्त होता है.

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Chaurchan Puja 2025

Chaurchan Puja 2025

पूजा विधि और विशेषता (Chaurchan Puja 2025)

चौरचन पूजा सूर्यास्त के बाद की जाती है. महिलाएं व्रत रखकर घर आंगन को साफ करती हैं और मिट्टी या चावल के घोल से चित्रांकन करती हैं. पूजा स्थल पर चावल, दही, मिठाई, फल, पकवान और विशेष रूप से पूड़ी व तरकारी का प्रसाद अर्पित किया जाता है. चंद्रमा को अर्घ्य देकर दीपक जलाया जाता है और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की जाती है.

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आज का शुभ मुहूर्त (Chaurchan Puja 2025)

पंडितों के अनुसार इस वर्ष चौरचन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6:49 मिनट से रात 8:29 मिनट तक रहेगा. इसी दौरान चंद्रमा को अर्घ्य देना अत्यंत फलदायी माना गया है.

चौरचन पूजा का महत्व (Chaurchan Puja 2025)

चौरचन पूजा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह पारिवारिक एकता और सांस्कृतिक पहचान को भी मजबूत करती है. आधुनिक समय में जहां लोग अपनी जड़ों से दूर हो रहे हैं, वहीं यह पर्व याद दिलाता है कि परंपराएं हमें जोड़ने का काम करती हैं. चंद्रमा की शीतलता और शुद्धता को आत्मसात करने वाला यह पर्व जीवन में धैर्य, शांति और संतोष का संदेश देता है.

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