नई दिल्ली: आपने अक्षय कुमार की चर्चित फिल्म ‘स्पेशल-26’ तो देखी ही होगी, जिसमें 28 लोगों को सीबीआई का फर्जी अफसर बताकर ठगी की गई थी. राजधानी दिल्ली से ठगी का एक ऐसा ही मामला सामने आया है. फिल्म में स्पेशल-26 थे और यहां ‘स्पेशल-28’. इन 28 लोगों के साथ करोड़ों रुपए की ठगी की गई.

इतना ही नहीं ये सभी लोग करीब एक महीने तक रोजाना आठ घंटे तक नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर ट्रेनों और उनके डिब्बों की गिनती करते रहे. इन लोगों को बताया गया कि अभी इनकी ट्रेनिंग रेलवे में चल रही है. यही इनका काम है. ये सभी लोग इस बात से अनजान थे कि वे नौकरी के नाम पर ठगी का शिकार हो गए हैं.

नौकरी के नाम पर करोड़ों रुपए वसूले
जानकारी के मुताबिक ये सभी 28 लोग तमिलनाडु के रहने वाले हैं. दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) में दर्ज शिकायत के मुताबिक, इन 28 लोगों को बताया गया था कि वे टीटीई, ट्रैफिक सहायक और क्लर्क के पदों के लिए प्रशिक्षण ले रहे थे.

रेलवे में नौकरी पाने के लिए उनसे दो लाख से लेकर 24 लाख रुपये तक वसूले जाते थे. ईओडब्ल्यू में शिकायत 78 वर्षीय एम सुब्बुसामी ने दर्ज कराई थी. शिकायत के अनुसार, जून और जुलाई के बीच हुए एक महीने के प्रशिक्षण के लिए जालसाजों के एक समूह द्वारा इन लोगों से 2.67 करोड़ रुपये की ठगी की गई.

चालाकी से बरगलाया
यह एक पूर्व सैनिक सुब्बुसामी था, जो इन 28 लोगों को कथित जालसाजों के संपर्क में लाया था, लेकिन उसने दावा किया कि वह इस बात से अनजान था कि यह सब एक घोटाला था और वह भी उनके जाल में फंस गया.

मदुरै के एक पीड़ित 25 वर्षीय स्नेहिल कुमार ने कहा, “प्रत्येक उम्मीदवार ने सुब्बुसामी को दो लाख रुपये से लेकर 24 लाख रुपये तक की राशि का भुगतान किया, जिसने विकास राणा नामक व्यक्ति को भुगतान किया. राणा ने खुद को दिल्ली में उत्तर रेलवे कार्यालय में उप निदेशक के रूप में पेश किया.

इंजीनियरों और स्नातकों को शिकार बनाया गया
ठगी का शिकार हुए ज्यादातर लोगों ने इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी की पढ़ाई की है. तमिलनाडु के विरुधुनगर जिले के रहने वाले सुब्बुसामी ने कहा, ‘सेवानिवृति के बाद मैं अपने क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं को नि:स्वार्थ नौकरी खोजने में मदद कर रहा हूं.

ईओडब्ल्यू में दर्ज शिकायत में उसने आरोप लगाया है कि वह दिल्ली में एमपी क्वार्टर में कोयंबटूर निवासी शिवरामन नाम के व्यक्ति से मिला था. शिवरामन ने सांसदों और मंत्रियों के साथ अपने परिचित होने का दावा किया. रिश्वत के बदले में बेरोजगारों को रेलवे में नौकरी की पेशकश की, जिसके बाद सुब्बासामी तीन लोगों के साथ नौकरी की तलाश में दिल्ली आ गया. बाद में उसके साथ 25 और लोग नौकरी लेने आए.

ईओडब्ल्यू मामले की जांच कर रही
ईओडब्ल्यू ने अपनी प्रारंभिक जांच में पाया कि यह एक नौकरी घोटाला था. आगे की जांच चल रही है. रेलवे मंत्रालय के अतिरिक्त महानिदेशक, मीडिया एवं संचार, योगेश बवेजा ने नौकरी में होने वाले इस तरह के घोटालों के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा कि रेलवे बोर्ड नियमित रूप से एडवाइजरी जारी कर रहा है. आम जनता को इस तरह की धोखाधड़ी के खिलाफ सतर्क कर रहा है.

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