शिवम मिश्रा, रायपुर। ठगों के बढ़ते हौसले का ही नतीजा है कि अब वे लोगों को ठगने के लिए विधायकों के नाम का नाम का इस्तेमाल करने लगे हैं. एक ही दिन में दो ऐसे मामले आए हैं, जिसमें संसदीय सचिव व रायपुर पश्चिम विधायक विकास उपाध्याय और वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष व दुर्ग विधायक अरुण वोरा के नामों का इस्तेमाल किया गया. लेकिन एजेंसी संचालक अपनी समझबूझ से ठगी का शिकार होने से बच गए. मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई है.
विधायक विकास उपाध्याय के नाम से ठगी करने वाले शख्स ने ऑनलाइन ट्रांसफर एजेंसी संचालक सचिन खत्री को फोन कर पहले अपने को विधायक का निज सहायक बताते हुए विधायक के बात कराने के नाम पर आवाज बदलकर मुंबई यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले अपने परिचित के लड़के की फीस जमा कर देने को कहा. वहीं रकम घर आकर ले लेने की बात कही. सचिन खत्री ने ठग की आशंका पर विधायक विकास उपाध्याय के घर पहुंच गए और घटनाक्रम की जानकारी दी. इसके बाद विधायक प्रतिनिधि की ओर से सरस्वती नगर थाना में अज्ञात ठग के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है.
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इसी तरह के दूसरे मामले में दुर्ग विधायक अरुण वोरा बनकर नया बस स्टैंड स्थित प्रज्ञा चॉइस एवं लोक सेवा केंद्र के संचालक सुशील राजपूत से ठगी करने का प्रयास किया गया है. लेकिन सुशील राजपूत व्यक्ति की आवाज से समझ गया कि अगला शख्स अरुण वोरा नहीं है, इसलिए उन्होंने पैसा ट्रांसफर नहीं किया और ठगे जाने से बच गए.
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जांच कर की जाएगी कार्रवाई
सरस्वती नगर थाना प्रभारी गौतम चंद गावड़े के मुताबिक, रायपुर पश्चिम विधायक विकास उपाध्याय के नाम से अज्ञात ठग के ठगी करने का प्रयास करने की शिकायत प्राप्त हुई है. डीडी नगर निवासी ऑनलाइन ट्रांसफर एजेंसी चलाने वाले सचिन खत्री के पास अज्ञात ठग ने कॉल कर मुंबई यूनिवर्सिटी के नाम से पैसे जमा करने की मदद मांगी है. विधायक प्रतिनिधियों द्वारा थाना में आकर शिकायत दी गई है. इस मामले में जांच कर कार्रवाई की जाएगी.
विधायकों ने की सावधान रहने की अपील
ठगी के प्रयास की बात सामने आने के बाद विधायक अरुण वोरा और विकास उपाध्याय ने लोगों से सावधान रहने और ऐसे किसी भी अनजान कॉल पर पुलिस को सूचना देने की अपील की है. विकास उपाध्याय ने अपने प्रतिनिधि के जरिए सरस्वती नगर थाने में मामला दर्ज कराए जाने की बात कहते कार्रवाई की मांग की है.
एक ही ठग का कारनामा!
विधायक अरुण वोरा और विकास उपाध्याय के नाम से ठगी करने वाले के फोन से स्पष्ट है कि एक ही व्यक्ति की करस्तानी है. दोनों की मामलों में ठग ने एक ही तरीका अपनाया. पहले खुद पीए बनकर फिर विधायक बनकर बात की. पीड़ित व्यक्ति विधायक के बात करने के उत्साह में आवाज को पकड़ने में नाकाम रहा, वहीं दूसरे व्यक्ति ने आवाज को पकड़ लिया, जिसकी वजह से वह ठगी से बच गया.