दिल्ली. आतंकवादियों से सीधा मोर्चा लेकर उनके छक्के छुड़ाने वाला बहादुर चीता देश की सेवा के लिए फिर हाजिर है. करीब साल भर पहले जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की 9 गोलियां सीने पर खाकर भी अदम्य शौर्य का प्रदर्शन करने वाले सीआरपीएफ के जांबाज कमांडेंट चेतन कुमार चीता ने अपनी सेवाएं फिर से शुरु कर दी हैं.
अपने अदम्य शौर्य के लिए कीर्ति चक्र से सम्मानित चेतन चीता ने सीआरपीएफ निदेशालय में अपनी ज्वाइनिंग दे दी. फिलहाल उनको आफिस से जुड़े कामों की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी क्योंकि चेतन की शारीरिक हालत उनको कड़े शारीरिक श्रम की इजाजत नहीं देती है.
गौरतलब है कि अपनी दिलेरी के लिए मशहूर चेतन को उनके साथी उनके अदम्य साहस के चलते ‘चीता’ उपनाम से बुलाते थे. वह पिछले साल सीआरपीएफ की 45वीं बटालियन के कमांडिंग आफिसर थे जब आतंकियों के साथ उनकी टुकड़ी की मुठभेड़ हो गई. बांदीपोरा में हुई मुठभेड़ में चीता ने आतंकियों के छक्के छुड़ाते हुए न सिर्फ उनके मंसूबों को ध्वस्त किया बल्कि आतंकियों को खासा नुकसान पहुंचाया था.
इस आपरेशन में चीता को 9 गोलियां भी लगी थी. जिसके बाद वे दो महीने तक कोमा में रहे थे. डाक्टरों का कहना था कि ये उनकी अदम्य इच्छाशक्ति ही थी जिसके चलते वे कोमा से निकलने में सफल रहे औऱ जीवित रहे. चीता के इस साहस की पूरे देश में चर्चा हुई थी. गृहमंत्री राजनाथ सिंह समेत आर्मी चीफ और सेना के सभी प्रमुखों ने चीता के साहस की जमकर तारीफ की थी. पूरा देश उनके अच्छे होने के लिए प्रार्थना कर रहा था. अब चीता के फिर से सीआरपीएफ ज्वाइन करने के बाद पैरा मिलिट्री फोर्सेस को न सिर्फ एक होनहार जवान मिल गया है बल्कि अब देश विरोधी तत्वों के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है.