रायपुर। छत्तीसगढ़ में सियासी उथल-पुथल के बीच एक नया मामला चर्चा में आ गया है. भूपेश सरकार दुर्ग जिले में स्थित चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज का अधिग्रहण करने की तैयारी में है. इसको लेकर बीजेपी ने सरकार पर हमला बोला था, बीजेपी के नेताओं ने अपने रिश्तेदार को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया था, जिसके बाद अब पं.रविशंकर विवि के प्रोफेसर रसायन वैज्ञानिक शम्स परवेज फेसबुक पर लिखा कि एमबीबीएस कोर्स कर रहे छत्तीसगढ़िया बच्चों के भविष्य के साथ किए गए आपके न्याय के बावजूद इस मानवीय न्याय के खिलाफ जो भी खबर चल रही है वो वास्तव मे बेहद आक्रोशित करने वाली है.
वैज्ञानिक शम्स परवेज ने कहा कि इस खबर का विरोध समाज के हर वर्ग को करना चाहिए. चंदूलाल चंद्राकार मेमोरियल मेडिकल कालेज का सरकार द्वारा अधिग्रहण बेहद प्रशंसनीय कदम है, न केवल कैरियर के अधर मे लटक रहे कालेज मे अध्ययनरत 600 से ज़्यादा एमबीबीएस विद्यार्थियों के लिए, बल्कि शिक्षाधानी भिलाई के लिए जो, बीजेपी सरकार के दौर से, एक अदद शासकीय मेडिकल कालेज के लिए पिछले 15 सालों से भीख मांग रहा था. मेडिकल कालेज की मान्यता रद्द होने से जिस तरह से 35-40 लाख की अपनी जमापूंजी लगाए हमारे छत्तीसगढ़ के सैकड़ों विद्यार्थी और उनके माँ-बाप की जान गले मे अटकी हुई थी, ऐसे कठिन परिस्थिति मे सरकार का आगे आकर मेडिकल कालेज को अधिग्रहित करने पर सीएम भूपेश बघेल को सल्युट करना चाहिए, न कि उन पर आरोप-प्रत्यारोप.
वैसे भी सरकार ने ऐसे ही एकदम से आकर इस निजी मेडिकल कालेज को अधिग्रहित नहीं किया बल्कि केंद्र द्वारा कुछ स्कोरिंग की कमी से इस कालेज की मान्यता रद्द करने के चलते, हम सब गवाह है कि पिछले दो-वर्षों से हमारे ये छत्तीसगढ़िया बच्चे और उनके माँ-बाप हाइकोर्ट से लेकर सरकार की ड्यूढ़ी तक बार-बार दस्तक दे रहे थे कि सरकार इस कॉलेज को अधिग्रहित कर ले. क्या हम लोग नहीं जानते कि जिस साल इस निजी मेडिकल कॉलेज की केंद्र ने मान्यता रद्द की थी, उसी साल इसी केंद्र सरकार ने यूपी में और कर्नाटक में कई निजी मेडिकल कॉलेजों को इससे भी कम स्कोरिंग मे मान्यता दे दी थी.
क्या हम लोगों को नहीं मालूम कि एक मेडिकल कालेज खोलने में कम से कम 500 करोड़ तक की राशि की आवश्यकता होती है, लेकिन जिस तरह से कांग्रेस सरकार ने इस निजी कालेज का अधिग्रहण किया तो आज कम से कम भिलाई-दुर्ग क्षेत्र मे आम लोगों के लिए एक शासकीय मेडिकल कालेज मिल गया, वरना यहाँ के प्रतिभाशाली बच्चों को या तो रायपुर, बिलासपुर या जगदलपुर जाना होता था या पचासों लाख खर्च कर निजी-मेडिकल कालेज मे एमबीबीएस कोर्स मे दाखिला लेना पड़ता था.
क्या हम लोगों को नहीं मालूम कि कैसे केंद्र ने इस साल भी तीन प्रस्तावित शासकीय मेडिकल कालेज की मान्यता आखिरी समय मे अमान्य कर दी. प्रदेश मे एमबीबीएस कोर्स करने के इच्छुक लाखों विद्यार्थी इस बात को भली-भांति जानते है कि 150 सीटों वाले इस शासकीय मेडिकल कालेज से उन्हे कितना ज़्यादा लाभ मिलेगा?
क्या हम लोगों पिछले 15-वर्षों को भूल सकते है जब निजी शैक्षणिक संस्थानों मे विद्यार्थियों से लेकर शिक्षकों तक का बेहद पीड़ादायक उत्पीड़न और शोषण किया गया और पूर्व-सरकार इस मामले मे आँखें मूंदी रही?
क्या हम लोग नहीं समझते है कि यदि कोई सरकारी प्रतिष्ठान या कालेज किसी निजी घराने को सरकार बेचती, जैसा आजकल देश मे हो रहा है या इस निजी मेडिकल कालेज के विद्यार्थियों ने इसके शासकीयकरण का कभी अनुरोध नहीं किया होता, तो आरोपों के विश्लेषण की कोई बात बनती? यहाँ तो उल्टा छत्तीसगढ़िया बच्चों के भविष्य को बचाने और उनके अनुरोध पर जब इस निजी मेडिकल कालेज को सरकार ने अधिग्रहित किया है तो इसमे बुरी बात क्या है? हाँ! वैसे सरकारी प्रतिष्ठानों को निजी हाथों मे बेचकर उल्टी-गंगा बहाने वाले मुनाफाखोरों को अपने बच्चों के भविष्य को बचाने की सुध ही कब रहती है.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल महोदय! चंदूलाल चंद्राकार मेडिकल कॉलेज को अधिग्रहित कर एमबीबीएस जैसे महत्वपूर्ण कोर्स कर रहे छत्तीसगढ़िया बच्चों के भविष्य को बचाने पर प्रदेश आपको सैल्यूट करता है.