रायपुर. छठ पर्व हर साल कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है. ये तिथि इस बार 30 अक्टूबर को पड़ रही है. इस पर्व में 36 घंटे निर्जला व्रत रख सूर्य देव और छठी मैया की पूजा और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है. मान्यता है छठ पूजा करने से हर मनोकामना पूर्ण होती हैं. खासकर इस व्रत को संतानों के लिए रखा जाता है. कहते हैं जो लोग संतान सुख से वंचित हैं उनके लिए ये व्रत वरदान साबित होता है. जानिए छठ पर्व की पूजा विधि, सामग्री, प्रसाद, कथा और आरती.
छठ पूजा: संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य समय
30 अक्टूबर (संध्या अर्घ्य) सूर्यास्त का समय : 05:29
31 अक्टूबर (उषा अर्घ्य) सूर्योदय का समय : 06:06
सामग्री
छठ पूजा सामग्री: नए वस्त्र, बांस की दो बड़ी टोकरी या सूप, थाली, पत्ते लगे गन्ने, बांस या फिर पीतल के सूप, दूध, जल, गिलास, चावल, सिंदूर, दीपक, धूप, लोटा, पानी वाला नारियल, अदरक का हरा पौधा, नाशपाती, शकरकंदी, हल्दी, मूली, मीठा नींबू, शरीफा, केला, कुमकुम, चंदन, सुथनी, पान, सुपारी, शहद, अगरबत्ती, धूप बत्ती, कपूर, मिठाई, गुड़, चावल का आटा, गेहूं.
छठ पूजा विधि:
- छठ पर्व के दिन प्रात:काल स्नानादि के बाद संकल्प लिया जाता है. संकल्प लेते समय इस मंत्र का उच्चारण किया जाता है.
- ॐ अद्य अमुक गोत्रो अमुक नामाहं मम सर्व पापनक्षयपूर्वक शरीरारोग्यार्थ श्री सूर्यनारायणदेवप्रसन्नार्थ श्री सूर्य षष्ठी व्रत करिष्ये.
- पूरे दिन निराहार और निर्जला व्रत रखा जाता है. फिर शाम के समय नदी या तालाब में जाकर स्नान किया जाता है और सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है.
- अर्घ्य देने के लिए बांस की तीन बड़ी टोकरी या बांस या पीतल के तीन सूप लें. इनमें चावल, दीपक, लाल सिंदूर, गन्ना, हल्दी, सुथनी, सब्जी और शकरकंदी रखें. साथ में थाली, दूध और गिलास ले लें. फलों में नाशपाती, शहद, पान, बड़ा नींबू, सुपारी, कैराव, कपूर, मिठाई और चंदन रखें. इसमें ठेकुआ, मालपुआ, खीर, सूजी का हलवा, पूरी, चावल से बने लड्डू भी रखें. सभी सामग्रियां टोकरी में सजा लें. सूर्य को अर्घ्य देते समय सारा प्रसाद सूप में रखें और सूप में एक दीपक भी जला लें. इसके बाद नदी में उतर कर सूर्य देव को अर्घ्य दें. अर्घ्य देते समय इस मंत्र का उच्चारण करें.
ऊं एहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पया मां भवत्या गृहाणार्ध्य नमोअस्तुते॥
छठ पूजा का महत्व: इस पर्व में सूर्य देव की पूजा की जाती है उन्हें अर्घ्य दिया जाता है. सूर्य देव के साथ-साथ छठी मैया की भी पूजा होती है. मान्यता है कि छठी मैया संतानों की रक्षा करती हैं और उन्हें दीर्घायु प्रदान करती हैं. पारिवारिक सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए ये पर्व मनाया जाता है.