कुंदन कुमार/ पटना। राजधानी समेत पूरे प्रदेश में छठ महापर्व की धूम शुरू हो चुकी है। बिहार में इस पर्व को लेकर लोगों की आस्था इतनी गहरी है कि सीमा झा अपने बेटे आकर्ष के साथ अमेरिका से आकर छठ महापर्व मानने बिहार पहुंची। उनकी दीदी रूपम झा भी छठ कर रही हैं। सीमा ने बताया कि अमेरिका में रहने के बावजूद उनकी आस्था उन्हें हर साल बिहार लौटने के लिए प्रेरित करती है। आज उन्होंने गंगा स्नान किया और “नहाए-खाए” की परंपरा निभाई। उनके साथ माता-पिता भी हैं, जो कहते हैं कि चाहे बच्चे अमेरिका में हों या कहीं और संस्कार और आस्था को हमेशा बनाए रखना चाहिए।
सुरक्षा और साफ-सफाई पूरी
नगर निगम और जिला प्रशासन ने राजधानी पटना के गंगा घाटों की साफ-सफाई और सुरक्षा की पूरी तैयारी कर ली है। गंगा घाट किनारे सात से अधिक घाटों को सजाया गया है। साथ ही सात घाटों को खतरनाक घोषित किया गया है, जहां छठ व्रती अर्घ्य नहीं देंगे। प्रशासन ने सभी घाटों पर सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए हैं ताकि छठ व्रती महिलाओं और श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो। लाखों श्रद्धालु इस पर्व को देखने और अर्घ्य देने गंगा घाट पहुंचते हैं, इसलिए पटना पुलिस ने भी भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष रणनीति बनाई है।
श्रद्धालुओं की भीड़ और पारिवारिक भक्ति
पटना के गंगा घाट पर हजारों की संख्या में महिलाएं स्नान और पूजा-पाठ करते नजर आईं। सपरिवार आई आरती शर्मा पिछले छह वर्षों से लगातार छठ महापर्व कर रही हैं। उन्होंने बताया कि छठ मईया की कृपा से उनकी जिंदगी सुख-शांति और समृद्धि के साथ चल रही है। आरती कहती हैं कि पहले दिन नियम और धर्म के अनुसार कद्दू-भात बनाकर उसका सेवन किया जाता है। दूसरे दिन गंगा स्नान और पूजा के बाद मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी से प्रसाद तैयार किया जाता है, जिसे छठी मईया को अर्पित किया जाता है। तीसरे दिन उपवास के दौरान सूर्योदय और सूर्यास्त के अर्घ्य दिए जाते हैं। आरती बताती हैं कि अर्घ्य पीतल की थाली या बांस की टोकरी में देने की परंपरा है। उनके पति और ननद भी पूरे श्रद्धा भाव के साथ छठ महापर्व मनाते हैं। गंगा स्नान और अर्घ्य के दौरान परिवार मिलकर छठी मईया की महिमा का गुणगान करता है और भावुक हो जाता है। आरती कहती हैं किइससे बड़ा और पावन पर्व कोई नहीं है।
संस्कार का प्रतीक बन चुका है
पटना में इस बार छठ महापर्व पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा, साफ-सफाई और पारिवारिक भक्ति के सभी इतंजाम पूरे किए गए हैं। अमेरिका से आई सीमा झा जैसी श्रद्धालु यह दिखाती हैं कि छठ महापर्व केवल बिहार ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में लोगों के दिलों में बसे आस्था और संस्कार का प्रतीक बन चुका है।
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