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रायपुर. छठ पर्व पर आज भगवान सूर्य और छठ मइया की आराधना कर खरना पूजा की गई. नहाय खाय के साथ आस्था और विश्वास का महापर्व छठ पूजा शुक्रवार से शुरू हो चुकी है, जो चार दिनों तक चलेगा. दूसरे दिन खरना व्रत की परंपरा निभाई जाती है. प्रथम स्नान और सूर्य देवता को जल अर्पित कर महिलाएं दिनभर उपवास करती हैं और शाम में भगवान सूर्य को खीर-पूड़ी, पान-सुपारी और केले का भोग लगाने के बाद प्रसाद को बांटा जाता है.
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इस मुहूर्त में खरना करना लाभदायी
आज खरना पूजन के साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया है. रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य और सोमवार को उदीयमान सूर्य को अघ्र्य देकर महापर्व की समाप्ति होगी. शनिवार को सुबह 10 बजकर 28 मिनट में कार्तिक शुक्ल पंचमी चढ़ रही है. इस दिन शाम 5 बजकर 25 मिनट के बाद पटना में सूर्यास्त हो रहा है. इसके बाद खरना किया जा सकता है. शाम 5 बजकर 38 मिनट से शाम 7 बजकर 15 मिनट तक लाभ का चौघरिया होने के कारण खरना के लिए अमृत कारक योग बन रहा है. इस मुहूर्त में खरना करना लाभदायी होगा. इस बीच व्रती पूजन के बाद चांद को अघ्र्य देंगी.
चूल्हे पर बनेगी गुड़ की खीर
आज महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रहेंगी. शाम को खरना पूजन करेंगी. चूल्हे पर गुड़ की खीर बनाकर प्रसाद ग्रहण करेंगी. ठेकुआ का प्रसाद कुल देवता और छठ मइया को अर्पित किया जाएगा. घरों में छठ मइया का अखंड दीप जलाकर मनौती की जाएगी.
खरना का महत्व
खरना पूजा विशेषकर व्रती के मन की शुद्धता के लिए होता है. इस दिन व्रती स्वयं को मानसिक तौर पर 36 घंटे के कठिन निर्जला व्रत के लिए तैयार करता है. तन और मन की शुद्धता के बाद छठ पूजा का व्रत प्रारंभ होता है. खरना के दिन ही छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है, इसमें भी शुद्धता का विशेष ध्यान रखते हैं. छठ का प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी की मदद से बनाया जाता है. प्रसाद में विशेष तौर पर ठेकुआ बनाते हैं.
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