Chhath Puja 2025: दिल्ली। हिंदू धर्म का प्रमुख लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा आज से आरंभ हो गया है. यह पर्व सूर्य देव और छठी मइया की आराधना का प्रतीक है और भक्तों द्वारा कठोर तप, उपवास और शुद्धता के साथ मनाया जाता है. बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों के साथ-साथ अब पूरे भारत और विदेशों में भी यह पर्व श्रद्धा के साथ मनाया जाता है.

छठ पूजा के चार दिन और उनका महत्व
- नहाय-खाय: व्रती पहले दिन स्नान कर शुद्ध आहार ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करते हैं.
- खरना: दूसरे दिन पूरे दिन उपवास रखकर शाम को गुड़-चावल की खीर और दूध ग्रहण किया जाता है.
- संध्या अर्घ्य: तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को जल अर्पित किया जाता है. इसी दिन कोसी पूजा (Kosi Puja) का विधान होता है.
- उषा अर्घ्य: अंतिम दिन सुबह उदयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत संपन्न होता है.

कोसी पूजा: आस्था और कृतज्ञता का प्रतीक
कोसी पूजा छठ पर्व का विशेष अनुष्ठान है, जिसे मनोकामना पूरी होने पर छठी मइया के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए किया जाता है. इस विधि में गन्नों से बने घेरे में मिट्टी के हाथी और कलश के चारों ओर 12 दीये जलाए जाते हैं, जो वर्ष के 12 महीने और 24 घंटे का प्रतीक हैं.
- कोसी पूजा में महिलाओं द्वारा छठ गीतों की मधुर ध्वनि में परिक्रमा की जाती है.
- यह पूजा संतान की दीर्घायु, परिवार की सुख-समृद्धि और जीवन में शांति की कामना का प्रतीक है.
- कोसी का घेरा परिवार की एकता और सुरक्षा कवच का प्रतीक है, जबकि गन्नों की छतरी छठी मइया के आशीर्वाद का प्रतीक मानी जाती है.
छठ पूजा का धार्मिक और सामाजिक महत्व
- सूर्य देव की उपासना: सूर्य को जीवन और ऊर्जा का स्रोत माना जाता है.
- कृतज्ञता का पर्व: यह पर्व प्रकृति और सूर्य के प्रति धन्यवाद ज्ञापन का अवसर है.
- शुद्धता और तप: निर्जला व्रत, संयम और सात्त्विक आहार के माध्यम से शरीर और मन की शुद्धि होती है.
- पर्यावरण और प्रकृति से जुड़ाव: जल, वायु, पृथ्वी और सूर्य जैसे तत्वों के प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है.
निष्कर्ष
छठ पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आस्था, कृतज्ञता और परिवार की एकता का महापर्व है. कोसी पूजा और सूर्य उपासना के माध्यम से यह पर्व हमें सिखाता है कि संयम, श्रद्धा और कृतज्ञता ही जीवन में सच्ची समृद्धि लाती है. छठी मइया के आशीर्वाद से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहे, यही इस पर्व का मूल संदेश है.
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