Chhath Puja Kharna 2025 : Lalluram Desk. लोकआस्था और श्रद्धा का प्रतीक चार दिवसीय छठ महापर्व इन दिनों पूरे देश में भक्तिभाव से मनाया जा रहा है. कार्तिक शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर आज छठ का दूसरा दिन है, जिसे खरना या लोहंडा के नाम से जाना जाता है. आज के दिन छठ व्रती दिनभर उपवास के बाद शाम को खरना के प्रसाद का भोग ग्रहन करते हैं, इसके बाद व्रतीयों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है.

खरना का महत्व

छठ पूजा के चारों दिन धार्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं. दूसरे दिन पड़ने वाला खरना आत्मशुद्धि और तपस्या का प्रतीक है. दिनभर उपवास रखने के बाद शाम को सूर्य देव और छठी मैया की आराधना की जाती है. इसके बाद गुड़, चावल और दूध से बनी खीर, गेहूं के आटे की रोटी या पूरी और केला का प्रसाद बनाकर अर्पित किया जाता है. इसे ग्रहण करने के बाद व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास प्रारंभ करते हैं.

चार शुभ योग

इस साल खरना के दिन चार शुभ योग बन रहे हैं, जो पर्व की पवित्रता और फलदायीता को बढ़ा रहे हैं. इनमें सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, शोभन योग और नवपंचम राजयोग शामिल हैं. ज्योतिषीय दृष्टि से ये योग सुख, सौभाग्य और सिद्धि प्रदान करने वाले माने गए हैं. पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 27 अक्टूबर की सुबह 6 बजकर 4 मिनट तक रहेगी, जिसके बाद षष्ठी तिथि का आरंभ होगा.

पूजा विधि

सुबह सूर्योदय से पहले व्रती स्नान कर पवित्रता का संकल्प लेते हैं और दिनभर निर्जला उपवास रखते हैं. शाम के समय पूजा स्थल को साफ-सुथरा कर सजाया जाता है. सूर्यास्त के बाद गुड़ की खीर और रोटी या पूरी का प्रसाद तैयार किया जाता है. पूजा के दौरान सूर्य देव और छठी मैया का ध्यान कर पहले सूर्य देव को और फिर छठी मैया को प्रसाद अर्पित किया जाता है. इसके बाद ही व्रती स्वयं प्रसाद ग्रहण करते हैं.