वैभव बेमेतरिहा, रायपुर। छत्तीसगढ़ के 90 विधानसभा सीटों में एक सीट ऐसी है, जो बीते 20 वर्षों से सबसे महत्वपूर्ण रही है. यह एक ऐसी सीट है जिस पर अजीत जोगी के परिवार की होती रही है. मरवाही विधानसभा को जोगी का गढ़ माना जाता है. छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद जब स्वर्गीय अजीत प्रमोद कुमार जोगी मुख्यमंत्री बने तो वे विधायक नहीं थे. मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने विधानसभा का चुनाव लड़ा था. और जिस सीट से अजीत जोगी चुनाव लड़े थे वो सीट है मरवाही. जिसे आज प्रदेश के साथ देश भर के लोग जोगी के मरवाही के रूप में जानते हैं.


जिस समय अजीत जोगी पहली बार मरवाही से विधायक थे वह सन् 2001 की बात है. अजीत जोगी के लिए यह सीट भाजपा के विधायक रामदयाल उइके ने ही खाली की थी. वही राम जो भाजपा के थे फिर हुए कांग्रेस के और वर्तमान में अब बीजेपी के हैं. बात यहाँ हम उसी राम की कर रहे हैं जिन्होंने बड़े जोगी के लिए अपनी सीट छोड़ दी थी. हालांकि 2003 में उन्हें पाली-तानाखार सीट से विधानसभा की टिकट दी गई और वे चुनाव जीते भी. 2003 ही नहीं 2008 और 2013 लगातार तीन बार वे इस सीट से चुनाव जीतते रहे.

इस तरह सन् 2001 से के बाद से ही मरवाही सीट से अजीत जोगी चुनाव जीतते रहे. 2003, 2008 में अजीत जोगी कांग्रेस की टिकट पर यहाँ से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुँचे थे. वहीं 2013 में उन्होंने यहाँ से अपने बेटे अमित जोगी को चुनाव लड़ाया. अमित जोगी भी कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीते और पहली बार विधायक बने. 2018 में एक बार फिर अजीत जोगी मरवाही विधानसभा चुनाव लड़े और जीते. हालांकि 2018 में उन्होंने चुनाव में जीत अपनी पार्टी जनता कांग्रेस के बैनर तले दर्ज की. अजीत जोगी ने मरवाही से उस कांग्रेस को हरा दिया जिस कांग्रेस की टिकट पर ही वे यहाँ से जीतते रहे.

चलिए फिर से राम पर लौटते हैं. वही राम जिन्होंने जोगी के लिए मरवाही की सीट छोड़ी और फिर 2018 में कांग्रेस छोड़ दी. अब राम बीजेपी के साथ हैं. 2018 विधानसभा चुनाव के ठीक पहले राम दयाल बीजेपी में गए. बीजेपी की टिकट पर अपनी परंपरागत पाली-तानाखार सीट से चुनाव लड़े, लेकिन इस दफे उसी कांग्रेस से हार गए, जिस कांग्रेस की टिकट पर वे पाली-तानाखार से हैट्रिक लगा चुके थे.


अब जब मरवाही में अजीत जोगी के निधन के बाद 2020 में उपचुनाव होने जा रहा है, तो एक बार फिर से वह अपनी पुरानी छोड़ी हुई सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में है. बीजेपी चुनाव समिति की ओर से जिन नामों का पैनल बनाया गया है उसमें राम दलाय उइके का नाम भी शामिल है. हालांकि उन्हें टिकट मिलेगी या नहीं इस की कोई गारंटी नहीं दिख रही है. क्योंकि भाजपा में अब कोई डॉ. गंभीर भी है. इन स्थितियों के बीच तो सवाल यही है कि बड़े जोगी के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ने वाले राम दयाल उइके क्या छोटे जोगी के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ेंगे ?