अखिलेश जायसवाल,रायपुर। छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रहे हाथियों की मौत के मामले में अब वन विभाग एक्शन मोड़ में आ गया है. रायगढ़ के धरमजयगढ़ क्षेत्र में 16 जून को करंट लगने से हुए हाथी की मौत का जिम्मेदार ठहराते हुए तीन बिजली विभाग के कर्मचारी और दो ग्रामीणों को गिरफ्तार किया गया था. गुरुवार को फिर उसी क्षेत्र में आतंक मचा रखे गणेश हाथी की मौत ने विभाग की चिंता बढ़ा दी है. धरमजयगढ़ क्षेत्र में हाथी की यह दूसरी मौत है. जिसके बाद पीसीसीएफ अतुल शुक्ला समेत वन विभाग के आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है.

जिस गणेश हाथी की मौत आज धरमजयगढ़ क्षेत्र में मौत हुई है वह कोरबा वन परिक्षेत्र में आतंक मचा रखा था. प्रदेश के अलग-अलग जिलों में गणेश ने भारी संख्या में घरों और खेतों को नुकसान पहुंचाया था. इसके साथ ही अब तक 19 लोगों को मौत के घाट उतार चुका था. रेडियो कॉलर आईडी लगाने के बाद गणेश विभाग के काबू में था, लेकिन कुछ माह पहले ही उसके गले से रेडियो कॉलर आईडी गिर गया था. जिसके बाद गणेश का रेस्क्यू करने वन विभाग द्वारा तमाम कोशिशें भी की गई, लेकिन सफलता नहीं मिली.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का होगा खुलासा

प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ वाईल्डलाइफ) अतुल शुक्ला ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में बताया कि सुबह धरमजयगढ़ के छाल रेंज के बेहरामार गाँव में एक दंतैल हाथी मृत मिला है. मौत का कारण पोस्टमार्टम के बाद पता चलेगा. बैंगलोर के दो हाथी विशेषज्ञ इसकी जांच करेंगे. शुरुआती जांच में ऊपर से कोई चोट नहीं है. हाथी ने घटना स्थल पर कहटल खाया हुआ है. हाथी की मौत के संबंध में सभी एंगल से जांच की जा रही है, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत की वजह साफ हो पाएगी.

दोषी पाए जाने पर होगी कड़ी कार्रवाई

अतुल शुक्ला ने आगे बताया कि डीएफओ प्रियंका पांडे के मुताबिक मृतक हाथी गणेश लग रहा है. हाथी के गले के रेडियो कॉलर आईडी का निशान दिख रहा है. उसके दांत और पूछ को देखकर गणेश ही प्रतीत हो रहा है. उन्होंने कहा कि गणेश का डोबियर मंगवाया गया, उसमें उसका नाप लिखा हुआ है, जिसके बाद यह स्पष्ट हो जाएगा कि वह गणेश है या नहीं ? उन्होंने कहा कि घटना स्थल की जांच के बाद ही मौत के असल नतीजे पर पहुंच पाएंगे. मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की भी जाएगी. यदि वन विभाग में कोई जिम्मेदार अपराधी पाया जाता है, तो उसे भी बख्शा नहीं जाएगा.

गले से गिर चुका था रेडियो कॉलर

अतुल शुक्ला के अनुसार गणेश हाथी को पहली बार रेडियो कॉलर आईडी 23 जुलाई 2019 को लगाया गया था. जिसके बाद 12 मई को 2020 को उसके गले से वह गिर गया. वन विभाग 15 मई से लगातार दोबारा लगाने का प्रयास किया गया, लेकिन सफलता नहीं मिली.

गणेश ने ली है 19 लोगों जान

दंतैल गणेश हाथी अब तक 19 लोगों को मौत के घाट उतार चुका है. रेडियो कॉलर आईडी लगाने से पहले गणेश 17 लोगों की जान लिया है, जबकि रेडियो कॉलर लगाने के बाद सिर्फ 2 लोगों ने उसके हमले से जान गंवाई है. क्योंकि गांव में मुनादी करा दी जाती थी, इसलिए लोग उसके चपेट में नहीं आए. इसके अलावा घरों, खेतों और अन्य को भी भारी संख्या में नुकसान पहुंचा चुका था.

10 साल में 130 हाथियों की मौत

छत्तीसगढ़ में पिछले 10 साल में 130 हाथियों की मौत हो चुकी है. जबकि 44 हाथी की मौत करंट लगने से हुई है. जिसमें से सिर्फ 22 हाथियों ने धरमजयगढ़ में ही करंट से जान गंवाई है. इसके अलावा कई अलग-अलग जिलों में मौतें हो चुकी हैं.

लगातार एक्टिव रहे हैं शुक्ला

पीसीसीएफ वाईल्डलाइफ) अतुल शुक्ला हाथियों की मौत के मामले में लगातार भाग दौड़ कर रहे हैं. वो पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर हाथियों की मौत कैसे हो रही है. यदि किसी की लापरवाही की वजह से हाथियों की जान जा रही है, तो उन्हें कड़ी से कड़ी सजा देने की बात कह रहे हैं.

आलाधिकारी मौके पर, छानबीन जारी

धरमजयगढ़ में दंतैल हाथी की मौत की खबर मिलने के बाद प्रधान मुख्य वन संरक्षक अतुल शुक्ला, धरमजयगढ़ डीएफओ प्रियंका पांडे, बिलासपुर मुख्य वन संरक्षण अनिल सोनी, विभाग अनुभवीय पशु चिकित्सक डॉ. वर्मा, बैंगलोर से दो वरिष्ठ हाथी विशेषज्ञ डॉ. आलोक और डॉ. प्रयाग घटना स्थल पर पहुंचे हुए है और पूरे मामले की जांच की जा रही है.

दो सप्ताह के भीतर 6 हाथियों की मौत

छत्तीसगढ़ में दो सप्ताह के भीतर गर्भवती हथिनी, एक बच्चा समेत 6 हाथियों की मौत हो चुकी है. इन सभी हाथियों की जान 9 जून से लेकर 18 जून के बीच गई है. सूरजपुर के प्रतापपुर में 9 और 10 जून को एक गर्भवती हथिनी समेत 2 हथिनी की मौत हुई थी. बलरामपुर के अतौरी के जंगल में 11 जून को 1 हाथिनी की मौत, धमतरी के माडमसिल्ली के जंगल में 15 जून को एक हाथी के बच्चे की मौत. वहीं रायगढ़ के धरमजयगढ़ में 16 और 18 जून को 2 हाथियों की मौत हुई है. धरमजयगढ़ में अधिक सख्या में हुए हाथियों की मौत संदेह के दायरे में है. कहीं हाथियों का शिकार तो नहीं हो रहा, इस एंगल में भी जांच करने की जरूरत है.