रायपुर। बात चाहे जीईआर (ग्रास इनरोलमेट रेशिया) की हो, या आईएमआर और एमएमआर की. बीते 25 सालों में समावेशी विकास की नई शब्दावली में छत्तीसगढ़ की विकास बहुत आश्चर्यजनक रहा है. आज नक्सलवाद अंतिम सांस गिन रहा है. कृषि क्षेत्र में नीतियां सटिक है, उसका लाभ किसानों को मिला है. यह बात छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के रजत जयंती वर्ष पर NEWS 24 MP-CG और लल्लूराम डॉट कॉम का ‘रजत सम्मेलन – विजन @ 2025 : कल, आज और कल’ में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में अहम भूमिका निभाने वाले “निर्माण के सहभागी” रहे वक्ताओं ने कही.
रायपुर के होटल बेबीलोन कैपिटल में आयोजित कार्यक्रम में स्थानीय संपादक आशीष तिवारी और समाचार संपादक अभिलाष मिश्रा ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं अजय चंद्राकर, चंद्रशेखर साहू और राजेश मूणत से चर्चा की.

भाजपा के वरिष्ठ विधायक अजय चंद्राकर ने चर्चा के दौरान बीते 25 सालों में छत्तीसगढ़ के विकास को लेकर कहा कि समावेशी विकास की नई शब्दावली में छत्तीसगढ़ की विकास बहुत आश्चर्यजनक रही है. बात चाहे जीईआर (ग्रास इनरोलमेट रेशिया) की हो, या आईएमआर और एमएमआर की. बीते 25 सालों में समावेशी विकास की नई शब्दावली में छत्तीसगढ़ की विकास बहुत आश्चर्यजनक रहा है.
अजय चंद्राकर ने कहा कि जीईआर (ग्रास इनरोलमेट रेशिया) छत्तीसगढ़ बना तो 1.5 – 1.75 प्रतिशत था, आज गवर्नमेंट और प्राइवेट यूनिवर्सिटी को जोड़ दें तो 30 प्रतिशत से ऊपर जाएगा. अब विकसित देश में 50 प्रतिशत से ज्यादा है. तो छत्तीसगढ़ सिर्फ 25 सालों में 30 प्रतिशत जा रहे है तो कितना आश्चर्यजनक है. आईएमआर को ले लिजिए, एमएमआर को ले लिजिए. और किसी भी क्षेत्र में क्षेत्रीय असंतुलन को ले लिजिए. बिजली में, सिंचाई में, स्वास्थ्य में. स्वास्थ्य में डेढ़ सौ सीटें थी, आज साढ़े 2300 से ऊपर है. तो समावेशी विकास छत्तीसगढ़ में अद्भुत रहा.

कुरुद विधायक ने कहा कि आज नक्सलवाद सांस गिन रहा है. आज नक्सलवाद में जो कमिटमेंट दिखा. आंतरिक सुरक्षा के बारे में ऐसे कमिटमेंट के साथ कभी कार्रवाई नहीं हुई. उसका प्रभाव दिखता है. स्वतंत्र भारत में इस तरह से कभी कमिटमेंट के साथ कार्रवाई नहीं हुई. बस्तर में आज खाट में बैठे बच्चे कार्टून पहली बार देख रहे हैं. वहीं विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि सरदार पटेल का एक शब्द है कि भारत में जो ब्यूरोक्रेसी है, वह स्टील फ्रेम है. उस स्टील फ्रेम को भेदा किसने? छत्तीसगढ़ के बीते साल ने भेदा. जेल जाने के लिए लाइन लग गई. और कौन से राज्य में हुआ. पॉलिटिकल इस्तेमाल करना, इमोशनल इस्तेमाल करना अलग बात है. अवसर मिलने पर इस्तेमाल करना अलग बात है.
भाजपा के पूर्व सांसद चंद्रशेखर साहू ने चर्चा के दौरान कहा कि छत्तीसगढ़ में कृषि के विकास को लेकर कहा कि छत्तीसगढ़ अपार संभावनाओं का प्रदेश रहा है, कृषि से लेकर सर्विस सेक्टर में सभी सेक्टर में. कृषि सेक्टर में चु्नौतियां कम नहीं है. कृषि क्षेत्र में नीतियां सटिक है, उसका लाभ किसानों को मिला है. पहले पैडी एण्ड पावर्टी (गरीबी) गोस टूगेर कहा जाता था, लेकिन आज 25 सालों में पैडी एण्ड प्रॉस्पेरिटी (संपन्नता) गोस टुगेदर बन गया है. धान और खुशहाली का संबंध 25 सालों में साबित हो गया. धान केवल आर्थिक खुशहाली का ही नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति का भी हिस्सा है.

उन्होंने कहा कि धान हमारी सरकार की प्राथमिकता आज भी है. धान का ज्यादा मूल्य देने वाला कोई राज्य है तो वह छत्तीसगढ़ है. छत्तीसगढ़ का अनुशरण ओडिशा किया. अन्य राज्यों ने भी इस पर विचार किया है. अजय चंद्राकर के विधानसभा क्षेत्र स्थित चरमुडिया गांव का जिक्र करते हुए कहा कि यह है, जहां सबसे पहले हाईब्रीड धान को किसानों ने बोया था. धान के अलावा मक्का के क्षेत्र में, चना और दूसरी फसल भी लेंगे. ऐसे धान के साथ नकदी फसल भी बोएंगे, जिससे चार पैसा किसानों के हाथ में हो. इसका परिणाम है कि पलायन काफी कुछ रुका है. पलायन की पीड़ा से छत्तीसगढ़ उबर रहा है.

पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री राजेश मूणत ने चर्चा के दौरान कहा कि छत्तीसगढ़ का पहला सत्र राजकुमार कॉलेज में हुआ. पहला बजट कुल 6 हजार सात सौ करोड़ का बजट था. आज 25 साल आते-आते छत्तीसगढ़ का बजट एक हजार साठ लाख करोड़ रुपए का बजट है. कहां से कहां पहुंचा छत्तीसगढ़, 16 जिले से लेकर 36 जिले. छत्तीसगढ़ में नेशनल हाइवे भी कच्चा हुआ करता था. आज चारो फोर लेन के अंतर्गत परिवर्तित हुआ. कोई शहर ऐसा नहीं, जहां विकास नहीं हुआ हो.
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