प्रदीप गुप्ता,कवर्धा। भारत की संरक्षित जनजाति बैगा आदिवासी से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है. कवर्धा जिले के पंडरिया ब्लॉक में बैगा आदिवासियों की मौत का तांडव देखने को मिला है. बीमारी के चलते पिछले एक महीने में 5 बैगा आदिवासी की मौत हो चुकी है. जबकि 4 की मौत 15 दिनों के भीतर ही हुई है. आदिवासियों की मौत की जानकारी मिलने के बाद रविवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में पहुंची हुई है.
इलाज के अभाव में तोड़ा दम
जानकारी के मुताबिक तीन बैगा आदिवासी कांदावानी गांव, एक बिजरूटोला और एक क्षीरपानी गांव के है. मृतकों में एक बुजर्ग महिला, एक बच्चा और तीन अधेड़ उम्र के आदिवासी शामिल है. बीमार होने के बाद इलाज कराने के बजाय कांदापानी में परिजन झाड़ फूंक कराते रहे. झाड़ फूंक के चलते आदिवासियों ने दम तोड़ दिया.
आज स्वास्थ्य टीम पहुंची गांव
मृतक के परिवार वालों ने बताया मरने वाले आदिवासी सप्ताह भर बीमार थे. उनका झाड़ फूंक कर इलाज किया जा रहा था. जानकारी मिलने के बाद आज स्वास्थ्य टीम गांव में पहुंची है. बीमारी से मरने वाले आदिवासियों में राजन पिता झलिया चेस्ट (68 वर्ष), जेठिया बाई पिता प्रेम (80 वर्ष), समय लाल पिता गुल्ला (52 वर्ष) और सुख सिंग शामिल है. इस तरह महीने भर में 5 बैगा आदिवासी की मौत हो चुकी है. वहीं 15 दिनों के भीतर 4 आदिवासी की मौत हुई है.
उल्टी-दस्त-मौसमी बीमारी की दवाईयों का वितरण
कुकदूर अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर प्रसिंगा महतो ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में बताया कि जानकारी मिलने के बाद आज स्वास्थ्य विभाग की टीम कांदावानी गांव पहुंची. गांव के लोगों की जांच की गई है. गांव वालों को उल्टी-दस्त-मौसमी बीमारियों से संबंधित दवाइयों का वितरण किया गया है. मृतक के परिवार वालों से बात करने पर मौत का कोई कारण उन लोग ठीक से नहीं बता पाए.
झाड़ फूंक में लगे थे बैगा आदिवासी
उन्होंने कहा कि जानकारी मिली है उसके मुताबिक अल्सर से पीड़ित था, एक गले में कुछ फंस गया. जिससे उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. वहीं एक बुजर्ग महिला थी. गांव वाले झाड़ फूंक कराते रहे. उन्होंने डॉक्टरों को सूचना नहीं दी. कुछ दिनों बाद फिर से स्वास्थ्य विभाग की टीम जाएगी. अभी गांव में कोई बीमार नहीं है.
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