रामकुमार यादव,अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में सिटी कोतवाली पुलिस ने जवा बाइक डीलरशिप दिलाने के नाम पर 33 लाख रूपए ठगने वाले 7 शातिर अपराधियों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है. लेकिन ताज्जूब की बात ये है कि पुलिस को ठगों के पास से नगद एक रूपए भी बरामद नहीं हुआ है. यानी पुलिस के हाथ अब भी खाली है. ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर पैसे कहां गए ?

पुलिस अधीक्षक टीआर कोसीमा के मुताबिक पीड़ित अजय सिंह ने 2 अक्टूबर को सिटी कोतवाली थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि जावा बाइक के डीलर शिप के लिए पुणे से फोन आने और फर्जी वेबसाइट के माध्यम से पैसे की मांग की गई. जिस पर उसने ठगों के खाते में एक बार में 23 लाख रुपए केनरा बैंक अकाउंट और दूसरी बार में 10 लाख रुपए अकाउंट में डलवा दिया. उसे बाद में खुद के ठगे जाने का एहसास हुआ.

अंबिकापुर सिटी कोतवाली पुलिस और साइबर सेल की टीम ने पुलिस महानिरीक्षक रतन लाल डांगी के निर्देश में एक टीम गठित की. आरोपियों के संभावित लोकेशन के आधार पर बिहार पटना के लिए भेजा गया, जहां पहली बार में पुलिस को कुछ खास कामयाबी नहीं मिली. जिसके बाद पुलिस दोबारा मौके पर दबिश देने पहुंची, तो पुलिस ने 7 शातिर ठगों को गिरफ्तार किया, जिसमें 2 नाबालिग भी शामिल है.

ये शातिर ठग साइबर क्राइम में माहिर हैं, जो कि एक चैन की तरह काम करते हैं. हर एक युवक के पास 5 से 6 बैंक अकाउंट हैं. बैंक अकाउंट का डिटेल सभी ने अलग-अलग आधार कार्ड और फर्जी दस्तावेज लगाकर के खोले हैं. जिनमें ठगी का पैसा उनके अकाउंट में भेजा जाता था. शातिर ठग इतने होशियार हैं कि वह मोबाइल टावर लोकेशन को छुपाने के लिए ऐसी जगह से फोन किया करते थे, जहां जंगल या खेत हो ताकि पुलिस को गुमराह किया जा सके.

पुलिस ने जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, उनमें निशांत कुमार, अविनाश कुमार, धर्मेंद्र कुमार, नीरज कुमार और आकाश कुमार शामिल है. ये सभी बिहार के ही रहने वाले हैं. आरोपियों से एक लैपटॉप, जिसके माध्यम से फर्जी आधार कार्ड और फर्जी वेबसाइट बनाई जाती थी, 9 मोबाइल हैंडसेट और विभिन्न बैंकों के पासबुक, चेक बुक, एटीएम कार्ड और कई प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों के सिम कार्ड पुलिस ने बरामद किया है. लेकिन नगदी के नाम पर पुलिस को एक रुपए भी नहीं मिला है. बताया जा रहा है कि शातिर ठग अपने अकाउंट में पूरे पैसे निकाल लिया करते थे.