नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ का कोसा सिल्क श्रीलंका की राजधानी कोलंबो के बाज़ारों में जल्द दिखाई देगा। छत्तीसगढ़ के जाँजगीर, रायगढ़, बिलासपुर सहित कोरबा के कोसा सिल्क की आपूर्ति धीरे- धीरे श्रीलंका के अन्य शहरों में भी उपलब्ध करायी जाएगी। यहाँ के कोसा सिल्क साड़ी अब श्रीलंका की महिलाओं की भी खूबसूरती में चार चाँद लगाएगी। नायाब बुनकरी की कोसा सिल्क साड़ी की दीवानगी अब श्रीलंका में भी दिख रही है। यही वजह है कि हस्तशिल्प की मांग और लोकप्रियता को देखते हुये श्रीलंका की सरकार ने छत्तीसगढ़ से हैंडलूम उत्पादों को लेकर एक समझौता किया है।

13 अक्तूबर को नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित भारतीय अंतर्राष्ट्रीय सहकारी व्यापार मेला में छत्तीसगढ़ हथकरघा विकास एवं विपणन सहकारी संघ बिलासा एम्पोरियम और श्रीलंका के सहकारिता विकास विभाग की ओर से एक साझा सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया गया है, जिसके तहत आपसी व्यापार और व्यवसाय को सहयोग और बढ़ावा दिया जाएगा। यह समझौता दो सालों के लिए किया गया है।

इसके तहत दोनों देशों के बीच हैंडलूम उत्पादों के संबंध में व्यापार और व्यवसाय की रुचि को समझकर, तकनीकों का आदान प्रदान, अनुभवों और उद्देश्यों को समझा जाएगा। दोनों देशों की ज़िम्मेदारी होगी कि वे अपने आइडिया और अनुभव एक दूसरे से साझा करेंगे। एक दूसरे के साथ व्यापार और व्यवसाय को बढ़ावा देंगे और एक दूसरे को सुविधाएं प्रदान करेंगे। इस समझौते के बाद छत्तीसगढ़ और श्रीलंका के हैंडलूम उत्पाद आसानी से लोगों को अपने ही देशों में उपलब्ध हो सकेगा। गौरतलब है कि पिछले दिनों कोसा साड़ियों के कुछ सैंपल श्रीलंका भेजे गए थे, जिसके बाद वहाँ की महिलाओं ने छत्तीसगढ़ की सिल्क साड़ियों में रुचि दिखाई है।

श्रीलंका के कोआपरेटिव विभाग के असिस्टेंट कमिशनर नीलांगा डी सोमपाल ने बताया कि छत्तीसगढ़ का कोसा सिल्क श्रीलंका में काफ़ी पसंद किया जाता है। यहाँ के कोसा सिल्क में उच्च गुणवत्ता और महीन बुनकरी का काम होता है वह बाज़ार में लोगों को काफ़ी आकर्षित करता है। उन्होंने ने बताया कि श्रीलंका से आए ग्राहकों का रुझान छत्तीसगढ़ के टसर सिल्क, घीचा सिल्क, लिनेन, रॉ सिल्क की ओर काफ़ी रहता है। आरी सिल्क और मटका टसर रेयर होने की वजह से श्रीलंका के लोग इसे काफी पसंद करते हैं।