CG News: रायपुर. महिला एवं बाल विकास विभाग में आंगनबाड़ी केन्द्रों के लिए हुई खरीदी में भ्रष्टाचार के मामले की जांच में संबंधित जिलों के कई अफसर घेरे में आ गए हैं. विभागीय अफसरों ने मिलीभगत कर घोटाले को अंजाम दिया है. इस मामले में प्रारंभिक जांच रिपोर्ट आ गई है. प्रदेश के कुछ जिलों से खरीदी में गड़बड़ी की शिकायतें सामने आने के बाद महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने इसे गंभीरता से लिया था. वहीं विशेष समिति गठित कर जांच के निर्देश दिए थे. संबंधित जांच समिति ने छह जिलों में खरीदी से जुड़े तथ्यों में सामग्रियों की भौतिक स्थिति के साथ गुणवत्ता मानकों की बारीकी से जांच की है. विभागीय मंत्री ने विशेष जांच समिति गठित कर पखवाड़े भर में रिपोर्ट मांगी थी. सूत्रों के मुताबिक अभी अंतिम रिपोर्ट नहीं आई है लेकिन प्रारंभिक रिपोर्ट विभागीय मंत्री को सौंप दी गई है. इसमें गड़बड़ियों की पुष्टि भी की गई है.

विभाग में इस बात की सुगबुगाहट है कि संदेहास्पद और परीक्षण योग्य सैंपल को वैज्ञानिक विश्लेषण कराने प्रयोगशाला में भेजा गया है. इधर प्रारंभिक रिपोर्ट में ही छह जिलों रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, जशपुर और सरगुजा जिलों के आंगनबाड़ी केंद्रों में वितरित सामग्री की गुणवत्ता जांच में गड़बड़ियां और लापरवाही पाई गई है. घटिया सामग्री खरीदी मामले में विभागीय अफसरों की मिलीभगत की भी जमकर चर्चा है. वहीं शुरुआती रिपोर्ट में भी स्वीकार किया गया है.
हालांकि अब शुरुआती रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होगी या नहीं, इस पर राज्य सरकार का रूख साफ नहीं हो पाया है. विभागीय मंत्री ने इस मामले में जांच से पहले कड़ी कार्रवाई के संकेत दिए थे. गौरतलब है कि आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों और महिलाओं को दी जा रही सामग्रियों की गुणवत्ता को लेकर लंबे समय से शिकायत मिल रही थी. इसमें घोटाले के भी कई जिलों से मामले सामने आए हैं.
मंत्री लक्ष्मी रजवाड़े ने ये बात स्वीकारी है कि अभी प्रारंभिक रिपोर्ट मिली है, इसका परीक्षण नहीं किया है.
कार्रवाई का दबाव
विभाग में करीब 40 करोड़ की खरीदी के इस घोटाले में कार्रवाई का दबाव बना हुआ है. प्रदेश में जीरो टालरेंस के दावे किए जाते हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर ही जवाबदेही तय करते हुए कार्रवाई की जाएगी.