पी. रंजन दास, बीजापुर। चुनाव की घड़ी जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, शहर से लेकर गांव-कस्बों तक चुनाव प्रचार जोर पकड़ रहा है. बीजापुर विधानसभा में मुकाबला चूंकि कांग्रेस-भाजपा है, बावजूद चुनाव प्रचार के मामले में गांव-कस्बों में कांग्रेस का जोर है. कांग्रेस से उम्मीदवार विधायक विक्रम मंडावी चोटिल होने के बावजूद जनसंपर्क में जुटे हुए हैं. वहीं विधायक की जमीनी कसरत को देख भाजपा के भीतर भी हलचल बढ़ी हुई है.

बता दें कि आचार संहिता से पहले बाइक रैली करते वक्त विधायक मोटरसाइकिल से गिरकर चोटिल हुए थे, कॉलर बोर्न सर्जरी के बाद वे बीजापुर लौटे थे, बावजूद चुनाव प्रचार में विधायक का जोश कम नहीं है. विक्रम भोपालपट्नम के बाद पिछले दो दिनों से उसूर ब्लॉक में डटे हुए हैं, और गांव-गांव कार्यकर्ताओं को साथ लेकर जनसंपर्क कर रहे हैं.

चर्चा है कि विधायक के मुकाबले प्रचार में पार्टी को पिछड़ते देख भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं में निराशा बढ़ रही है. चुनाव को लेकर महेश की फिल्डिंग किस तरह की है, जीत के लिए रणनीति कैसी है? इसे लेकर कार्यकर्ता असमंजस्य में हैं. जिले का भोपालपट्नम ब्लॉक जहां पिछले चुनाव में कांग्रेस को आठ हजार की लीड मिली थी, उस इलाके में भी भाजपा का प्रचार अब तक जोर नहीं पकड़ पाया है.
अब तो पार्टी के कार्यकर्ता दबी जुबां से चुनाव की तारीख का जिक्र करते कह रहे हैं कि समय कम है और दौरे लम्बे, इतने कम समय में चुनाव प्रचार कैसे संभव होगा, कार्यकर्ताओं को कोई गाइडलाइन मिल रही है ना तो उनके बड़े नेता उन इलाकों तक पहुंच रहे हैं, जहां कांग्रेस घुम-घुम कर अपनी स्थिति मजबूत करने की जुगत में हैं. दबी चुनाव से कार्यकर्ता बड़े नेताओं पर चुनाव प्रचार को लेकर उदासीन होने का आरोप लगा रहे हैं.

सोशल मीडिया पर आरोप-प्रत्यारोप

इधर चुनाव का रंग सोशल मीडिया पर चढ़ता जा रहा है. कांग्रेस और भाजपा दोनों ही राजनीतिक दल के लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप पर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. कांग्रेसी पांच साल में विकास के दावे और भाजपा पर पंद्रह साल कुशासन का आरोप लगा रहे हैं, वहीं भाजपाई जबावी हमले में भ्रष्टाचार का मुद्दा उछाल रहे हैं. सोशल मीडिया पर राजनीतिक दलों की बहस के लोग मजे भी ले रहे हैं.