Chhattisgarh at 25: छत्तीसगढ़ की गिनती देश के उत्न राज्यों में होती है, जहां कभी भी रजिस्ट्री या उससे होने वाली आय में कमी नहीं आई है. छत्तीसगढ़ के साथ बने झारखंड, उत्तराखंड के साथ बाद में बने तेलंगाना राज्य की तुलना में सबसे ज्यादा रजिस्ट्री यहीं हो रही है. पिछले तीन साल में रजिस्ट्री के आंकड़े सबसे ज्यादा बढ़े हैं. 2022-23 में पंजीयन विभाग ने पहली बार 2110 करोड़ का आंकड़ा पार किया. 2023-24 में रजिस्ट्री बढ़कर 2506 करोड़ की हो गई.


कलेक्टर गाइडलाइन में 30 फीसदी की छूट खत्म करने के बावजूद 2024-25 में 3050 करोड़ की रजिस्ट्री दर्ज की गई. 25 साल में ऐसा पहली बार हुआ, जब रजिस्ट्री का आंकड़ा 3000 करोड़ रुपए को पार कर गया. छत्तीसगढ़ में जब महामारी का साया था, तब भी रजिस्ट्री कभी कम नहीं हुई. तब लोगों को सबसे ज्यादा जरूरत घरों की हुई, इसलिए जमकर प्रॉपर्टी खरीदी. बैंक वालों ने भी होम लोन का इंटरेस्ट कम कर दिया था. (Chhattisgarh at 25)
इससे मिडिल क्लास ने सबसे ज्यादा मकानों की खरीदी की. 2019 से 2020 तक हर साल 1500 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति बिकी. कोरोना के 2 साल बाद यह आंकड़ा और बढ़ गया. यानी 2021-22 में राज्यभर में रिकॉर्ड रजिस्ट्री हुई. इस वित्तीय साल में 1800 करोड़ की जमीन की खरीदी-बिक्री दर्ज की गई.
2019 से नहीं हुआ कलेक्टर गाइडलाइन में कोई बदलाव
जमीन की सरकारी कीमत तय करने के लिए 2019 से कलेक्टर गाइडलाइन में कोई बदलाव नहीं किया गया. लेकिन, अफसरों का कहना है कि 2018-19 की कलेक्टर गाइडलाइन को भी यथावत रखा गया था. यानी 2019-20 के 2 साल पहले भी कलेक्टर गाइडलाइन में बदलाव नहीं हुआ. ऐसे में 8 साल में इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है. यही वजह है कि इस बार गाइडलाइन तय करने के लिए खासी मशक्कत की जा रही है. 2025-26 के लिए नई गाइडलाइन इस बार 1 अप्रैल के बजाय नवंबर-दिसंबर में जारी होगी. अफसर इसकी तैयारी कर रहे हैं. नई गाइडलाइन जब तक नहीं आ जाती, पुरानी दरों – से ही रजिस्ट्री होती रहेगी.
रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग टॉप पर, राजधानी से ज्यादा राजस्व
छत्तीसगढ़ में इस साल रजिस्ट्री कराने के मामले में रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग जिले टॉप पर रहे. तीनों ही जिलों में तय टारगेट से ज्यादा की ही रजिस्ट्री दर्ज की गई. रायपुर में सबसे ज्यादा 1100 करोड़ रुपए की रजिस्ट्री दर्ज की गई हैं. इसी तरह दुर्ग में और बिलासपुर में भी 400 करोड़ रुपएए से ज्यादा की रजिस्ट्री दर्ज हुई.
नक्सल जिलों में भी कभी नहीं रुकी रजिस्ट्री
10 साल में नक्सल प्रभावित जिलों में भी रजिस्ट्री के आंकड़े बढ़े हैं. कोरोना के समय भी बस्तर संभाग में भी रजिस्ट्री हुई. कोरोना के बाद से अब तक राज्य में रजिस्ट्री कम नहीं हुई हैं. बस्तर, कांकेर, नारायणपुर और दंतेवाड़ा में तय टारगेट से ज्यादा रजिस्ट्री होती रही. कई जिले ऐसे हैं, जहां 40% ज्यादा रजिस्ट्री हुई है.
राज्य बनने के बाद से अब तक रजिस्ट्री (राशि करोड़ में)
| वर्ष | रजिस्ट्री (राशि करोड़ में) | 
|---|---|
| 2001 | 121.83 | 
| 2002 | 148.46 | 
| 2003 | 248.47 | 
| 2004 | 171.58 | 
| 2005 | 313.77 | 
| 2006 | 390.18 | 
| 2007 | 463.65 | 
| 2008 | 496.55 | 
| 2009 | 583.40 | 
| 2010 | 786.10 | 
| 2011 | 846.15 | 
| 2012 | 951.65 | 
| 2013 | 989.35 | 
| 2014 | 1022.34 | 
| 2015 | 1198.89 | 
| 2016 | 1212.40 | 
| 2017 | 1442.13 | 
| 2018 | 1510.32 | 
| 2019 | 1625.70 | 
| 2020 | 1650.85 | 
| 2021 | 1800.10 | 
| 2022 | 2110.25 | 
| 2023 | 2506.35 | 
| 2024 | 3050.40 | 

