रायपुर. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में दिव्यांगों को रोजगार देने में छत्तीसगढ़ देश में छठवें स्थान पर है. चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 के पहले आठ महीनों अप्रैल से नवम्बर तक यहां 22 हजार 966 दिव्यांगों को मनरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध कराया गया है. इस दौरान इनके लिए पांच लाख तीन हजार 208 मानव दिवस रोजगार का सृजन किया गया है. मनरेगा के बेहतर क्रियान्वयन से आम लोगों के साथ ही दिव्यांगों को भी रोजगार उपलब्ध कराने में छत्तीसगढ़ देश के कई बड़े राज्यों को पीछे छोड़ते हुए लगातार शीर्षस्थ राज्यों में शुमार है. दिव्यांगों को रोजगार के मामले में आंध्रप्रदेश, तमिलनाडू, तेलंगाना, मध्यप्रदेश और पश्चिम बंगाल क्रमशः पहले, दूसरे, तीसरे, चौथे एवं पांचवें स्थान पर है.

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव ने योजना के जरिए दिव्यांगों को मुख्य धारा से जोड़ने और इसके बेहतर क्रियान्वयन के लिए विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों की संवेदनशीलता की सराहना करते हुए इस उपलब्धि के लिए उनकी पीठ थपथपाई है. उन्होंने कहा कि दिव्यांगों को रोजगार के पर्याप्त अवसर मिलने से आत्मविश्वास और मनोबल बढ़ने के साथ ही उनका जीवन भी आसान होगा. अन्य योजनाओं में भी उन्हें रोजगार के ज्यादा मौके मिल सके, इसकी पहल की जाएगी.

मनरेगा दिव्यांगों को भी रोजगार मुहैया कराने के लिए बड़ा मंच साबित हो रहा है. इसमें रोजगार के समान अवसर देकर समाज की मुख्य धारा में उनकी सशक्त मौजूदगी सुनिश्चित की जा रही है. पिछले वित्तीय वर्ष 2018-19 में भी 30 हजार 702 दिव्यांगों को मनरेगा के अंतर्गत रोजगार मुहैया कराया गया था. इस दौरान उनके लिए आठ लाख 90 हजार 264 मानव दिवस रोजगार का सृजन किया गया था.

मनरेगा में दिव्यांगों को भी रोजगार उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त प्रावधान किए गए हैं. उन्हें विशेष श्रेणी वाले रंगीन जॉब कार्ड जारी किए गए हैं. उनकी मांग पर योजना के अंतर्गत पंजीकृत दिव्यांगों को उनके लिए सुविधाजनक कार्य उपलब्ध कराया जाता है. दिव्यांगों की सुगमता के लिए मनरेगा के तहत बनने वाले भवनों जैसे भारत निर्माण राजीव गांधी सेवा केन्द्र, आंगनबाड़ी भवन तथा खाद गोदामों में निःशक्त व्यक्तियों के आवागमन के लिए बाधारहित मार्ग का निर्माण भी प्राथमिकता से किया जाता है.

मनरेगा कार्यों में दिव्यांगों को प्राथमिकता से शामिल करते हुए चालू वित्तीय वर्ष में अब तक राजनांदगांव जिले में चार हजार 411, कबीरधाम में दो हजार 603, सुकमा में एक हजार 937, बलौदाबाजार-भाटापारा में एक हजार 537, रायपुर में एक हजार 354, जशपुर में एक हजार 140, बालोद में 1007, जांजगीर-चांपा में 923, कांकेर में 806, रायगढ़ में 675, कोरिया और सूरजपुर में 667-667, कोरबा में 596, धमतरी में 558, बिलासपुर में 555, मुंगेली में 457, गरियाबंद में 420, बेमेतरा में 419, दंतेवाड़ा में 395, सरगुजा में 381, दुर्ग में 369, बलरामपुर-रामानुजगंज में 283, कोंडागांव में 273, बस्तर में 213, महासमुंद में 167, बीजापुर में 89 तथा नारायणपुर जिले में 64 दिव्यांगों को रोजगार दिया गया है. उन्हें इस दौरान सभी जिलों में कुल पांच लाख तीन हजार 208 मानव दिवस काम दिया गया है.

मनरेगा में दिव्यांगों के लिए चिन्हित विशिष्ट कार्य

मनरेगा में दिव्यांग व्यक्ति की क्षमता अनुसार कार्यों के संभावित वर्गीकरण में पेयजल व्यवस्था, बच्चों की देखभाल करने में सहायता, पौधरोपण, सिंचाई-नहर खोदना, गड्ढों को भरना, ट्रॉलियों में रेत भरना अथवा फेंकना, भवन निर्माण-कंक्रीट सामग्री तैयार करना, कंक्रीट व अन्य निर्माण सामग्री को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना, सीमेंट और ईंट ले जाना, परातों में मिट्टी अथवा कंकड़ भरना, नवनिर्मित दीवार पर पानी छिड़कना, कुएं को गहरा करना, कुएं के अंदर खोदी गई मिट्टी से टोकरी भरना, कुएँ से कीचड़ खोदकर बाहर निकालना, तसलों में कूड़े को भरना, परातों में भरी सामग्री को ट्रालियों में डालना, पत्थर ढोना, पत्थरों को सही स्थान पर रखना, भूमि को समतल करना, खेतों में बांध लगाना, जल संरक्षण भूमि में गड्ढे खोदना, गड्ढों से खोदी गई मिट्टी को किसी अन्य स्थान पर रखना, जल छिड़काव करना एवं कंकड़ रखना शामिल है.